वाराणसी हादसा: फ्लाईओवर के निर्माण को लेकर कई बार बदली DPR, हुए कई विवाद

संक्षेप:

  • पुल का पीलर गिरने से 15 लोगों की मौत हो गई
  • अखिलेश सरकार में 1 अक्टूबर 2015 को चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर के विस्तारीकरण का शिलान्यास
  • तब से लेकर आज तक इस फ्लाईओवर का निर्माण विवादों में ही रहा

मंगलवार शाम वाराणसी कैंट स्टेशन के सामने निर्माणाधीन पुल का पीलर गिरने से 15 लोगों की मौत हो गई। मंगलवार देर रात घायलों से मिलने सीएम योगी और डिप्टी सीएम भी पहुंचे और घायलों का हाल जाना। वहीं जब सीएम योगी ने इस लापरवाही के लिए अधिकारियों से जवाब मांगा तो किसी का मुहं नही खुला। लेकिन हादसे की वजह लापरवाही और प्रशासनिक चूक भी है। बता दें, अखिलेश सरकार में 1 अक्टूबर 2015 को चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर के विस्तारीकरण का शिलान्यास हुआ और निर्माण शुरू किया गया। तब से लेकर आज तक इस फ्लाईओवर का निर्माण विवादों में ही रहा।

गौरतलब है कि अखिलेश राज में भी कई बार इसकी डीपीआर बदली गई। 2017 में योगी सरकार आई तो काम जल्द पूरा करने के निर्देश दिए गए। फ्लाईओवर का निर्माण कार्य मार्च 2019 में पूरा होना था, लेकिन एक बार फिर अधिकारियों ने वाहनों के दबाव का हवाला देकर अक्टूबर 2019 तक काम को पूरा करने की मियांद बढ़ाने की मांग की गई। वहीं पिछले दिनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी इसका निरीक्षण करने पहुंचे थे। डिप्टी सीएम ने काम की धीमी गति को देखते हुए इसे जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश भी दिया था।

आपको बताते चलें की 1710 मीटर लंबे इस फ्लाईओवर का निर्माण 30 महीने में पूरा होना था, लेकिन आज तक इस फ्लाईओवर का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है। अब इस काम को अक्टूबर 2019 में पूरा होना है। फ्लाईओवर प्रोजेक्ट की लागत 77.41 करोड़ रुपए  है, जिसके अंतर्गत 63 पिलर बनने हैं, लेकिन करीब तीन साल बाद भी फ्लाईओवर विस्तारीकरण के तहत 45 पिलर ही अभी तक तैयार हो सके हैं। प्रोजेक्ट समयावधि बढऩे के बाद सेतु निर्माण निगम के गाजीपुर इकाई इस पर काम कर रही थी।

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गौर हो की 19 फरवरी को यूपी सेतु निगम के परियोजना प्रबंधक के खिलाफ सिगरा थाने में लापरवाही बरतने के लिए FIR दर्ज हो चुकी थी, जिसमें काम में लापरवाही, अराजकतापूर्वक कार्य करने, ट्रैफिक वालंटियर्स की तैनाती नहीं करने का आरोप लगाया गया था। अगर उस समय ही अफसरों ने इसका संज्ञान लिया होता तो यह हादसा नहीं होता। वहीं, फ्लाईओवर के निर्माण को लेकर कई बार प्रशासन को भी चेताया गया था. बताया गया था कि इस पुल का निर्माण रूट डाइवर्ट करके कराई जाए वरना हादसा हो सकता है, लेकिन हर समय इस मार्ग पर आवाजाही के बावजूद फ्लाईओवर के निर्माण के दौरान रूट डाइवर्ट नहीं किया गया।

जानकारी के मुताबिक जहां इस तरह का निर्माण होता है उस पूरे इलाके को सील कर दिया जाता है। निर्माण क्षेत्र से चार-चार फीट दाएं और बाएं बैरीकेडिंग की जाती है। लाल झंडे और लाइट लगाई जाती है। लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं था. जब कल हादसा हुआ तो वहां भारी ट्रैफिक था।

 

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