तीन सालों से जल रहा BHU, ये हैं पांच बड़ी वजह जिससे विवादित हुए बीएचयू वीसी

संक्षेप:

  • कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी का विवादों से पुराना नाता रहा है
  • तीन सालों में शिक्षा के इस मंदिर में वीसी के पाप का खेल
  • बीएचयू वीसी के विवादित होने की वो पांच घटनाएं

By- अभिषेक जायसवाल

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी का विवादों से पुराना नाता रहा है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में वर्तमान कुलपति गिरीश चंद त्रिपाठी के कार्यकाल ने अब तक के सभी कुलपतियों के कार्यकाल की तुलना में शिक्षा के इस मंदिर को शर्मशार करके रख दिया है। पिछले तीन सालों में शिक्षा के इस मंदिर में वीसी के पाप का खेल चलता रहा और जब वीसी के पाप का घड़ा भरा तो फिर फुट पड़ा छात्र छात्राओं का गुस्सा।  आज NYOOOZ आपको बताएगा बीएचयू वीसी के विवादित होने की वो पांच घटनाएं जिसने शिक्षा के मंदिर पर पाप के काले धब्बे लगा दिए।  

 काशी हिन्दू विश्वविद्यायल के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी सबसे पहले उस वक्त विवादों में आए जब कुलपति ने फिजी के रेपिस्ट डॉक्टर ओपी उपाध्याय को सर सुन्दर लाल चिकित्सालय का चिकित्सा अधीक्षक बना दिया। डॉ ओ.पी उपाध्यय पर फिजी में छात्रा से रेप करने का आरोप है और फिजी के कोर्ट ने उनपर इस मामले में सजा भी सूना चुकी है। लेकिन बावजूद इसके जातिवाद के कारण कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने उन्हें बीएचयू के सर सुंदरलाल चिकित्सालय का चिकित्सा अधीक्षक बना दिया छात्रों से लगायत तमाम राजनैतिक पार्टियों ने इसका विरोध किया। लेकिन कुलपति ने तमाम तथ्य और विवादों को जानते हुए भी आंखे बंद कर ली और एक रेपिस्ट बना रहा बीएचयू अस्पताल का चिकित्सा अधीक्षक। 

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 बीएचयू वीसी दूसरी बार उस वक्त विवाद में आए जब 31 जनवरी 2016 को बीएचयू अस्पताल में अखफोड़वा काण्ड हुआ। नेत्र विभाग के डॉक्टरों की लापरवाही और कमीशनखोरी के चक्कर में आखों का इलाज कराने आए आठ मरीजों की आंखों की रोशनी छीन ली। मामला जब बढ़ा तो बीएचयू वीसी ने जांच के लिए कमेटी बना दी और फिर जांच के नाम पर मामले का लीपापोती कर आरोपी डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई नहीं की।  

तीसरा मामला विश्वविद्यालय में नियुक्तियों से जुड़ा है बीएचयू के वर्तमान कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने पिछले तीन साल के कार्यकाल में अपने चेहते लोगों को विश्वविद्यालय में बिना योग्यता और नियमों को ताख पर रख नियुक्तियां की हैं। जिसमे नियुक्ति विश्वविद्यालय के साउथ कैम्पस में भी हुई है। सूत्र बताते हैं की इन नियुक्तियों ने कई प्रोफेसर पद पर भी नियुक्ति की गयी हैं। हालांकि विश्वविद्यालय में नियुक्तियों को लेकर कई बार सवाल उठे हैं लेकिन वीसी के संघ के करीबी होने के कारण कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।  

 काशी हिन्दू विश्वविद्यालय चौथी बार उस वक्त चर्चा में आया जब विश्वविद्यालय के सर सुंदरलाल चिकित्सालय के ऑपरेशन थ्रियेटर में ऑक्सीजन के बजाय जहरीली गैस के प्रयोग के कारण 10 मरीजों की मौत हो गयी मामला प्रकाश में आया तो छात्रों से लगायत राजनैतिक पार्टियों ने इसका विरोध किया। लेकिन बीएचयू वीसी ने इस मामले में भी जांच की आड़ में दोषियों पर कार्रवाई नहीं की और मामले की लीपापोती कर दी। 

 इन सभी मामलों के बाद  अब काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में छात्राओं संग छेड़खानी को लेकर चर्चा में है। 22 सितम्बर को सुरक्षा मांग रही छात्राओं पर बीएचयू के कुलपति ने कैम्पस में लाठी चलवाई जिसके बाद मामला इतना बढ़ गया की 48 घंटों तक विश्वविद्यालय में छात्रों और पुलिस के बीच गोरिल्ला युद्ध चलता रहा कैम्पस जलता रहा वीसी साहब सोते रहे और जब मामला हद से ज्यादा बढ़ गया तो वीसी महोदय ने मामले पर सफाई देते इसे बाहरी तत्वों की शरारत बता कर खुद को पाक साफ़ कह दिया।   

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