वाराणसीः सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर की करोड़ों की ठगी,गिरफ्तार

संक्षेप:

  • सक्रिय गिरोह के सदस्य पढ़े-लिखे युवकों को झांसा देकर अपनी कोचिंग में दाखिला कराते थे
  • नौकरी के लिए भारी रकम वसूलते और तहसील व कोर्ट में नियुक्ति का फर्जी पत्र घर के पते पर भेजते देते थे
  • पुलिस ने गैंग के सदस्यों के पास से कई फर्जी नियुक्ति पत्र व आईडी बरामद की है।

वारणसीः सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगारों से करोड़ों की ठगी करने वाले गैंग को बनारस पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आपको बता दें, यह गैंग सूबे की राजधानी लखनऊ से ऑपरेट किया जा रहा था। इसके लिए बकायदा कोचिंग भी खोली गई थी। पुलिस को गैंग के सदस्यों के पास से कई फर्जी नियुक्ति पत्र व आईडी बरामद की है। वहीं मेरठ के रहने वाले सरगना की तलाश जारी है।

इस मामले में एसपी सिटी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि पिछले दिनों कैंट थाने में पीयूष सिंह ने तहसील में नौकरी दिलाने का झांसा देकर 14 लाख रुपए ऐंठने की एफआईआर दर्ज कराई थी। इस मामले की जांच में कैंट थाना प्रभारी इंस्पेक्टर फरीद अहमद व क्राइम ब्रांच की टीम ने शनिवार को गोरखपुर के इंद्रदेव व बनारस के संजय यादव को गिरफ्तार कर पूछताछ की तो सनसनीखेज खुलासा हुआ। एसपी सिटी के मुताबिक लखनऊ में सक्रिय गिरोह के सदस्य पढ़े-लिखे युवकों को झांसा देकर अपनी कोचिंग में दाखिला कराते थे और उन्हें ट्रेनिंग दी जाती थी। इसके बाद सरकारी नौकरी के लिए भारी रकम वसूलते और तहसील व कोर्ट में नियुक्ति का फर्जी पत्र घर के पते पर भेजते देते थे। जिससे लोगों को लगता था कि उन्होंने सही हाथों में पैसा दिया है।

पुलिस के मुताबिक अब तक डेढ़ करोड़ की ठगी सामने आ चुकी है। आगे की जांच में यह राशि बढ़ सकती है। बताया जा रहा है की पीयूष सिंह से 14 लाख के अलावा, नाहिदा परवीन से 6 लाख 50 हजार, बच्चा सिंह से 5 लाख, सुरेश यादव से 5 लाख 75 हजार, चंद्रभान व राजेश यादव से 17 लाख, करुणेंद्र कुमार सिंह से 10 लाख, अजीत पटेल से 11 लाख तथा सुनील से 12 लाख रूपये स्टाम्प पेपर पर लिखा-पढ़ी कर लिया था।

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