वाराणसी में एक रंग में रंगे जाएंगे सभी घाट, काम हुआ शुरू

संक्षेप:

  • एक रंग में रंगे जाएंगे काशी के घाट
  • पुरानी यादें होंगी ताजा
  • बनारस में 84 घाटों की है लंबी श्रृंखला

वाराणसी: बनारस के घाट और गंगा मैया का पावन किनारा बनारस को दूसरे शहरों से बिल्कुल अलग बनाता है, लेकिन हजारों साल पुराने इस शहर के यह घाट सही ढंग से रख-रखाव न होने के कारण धीरे-धीरे अपनी पहचान खोते जा रहे हैं. अब सभी घाटों को एक ही रंग में रंगने की तैयारी चल रही है.

घाटों पर मौजूद पुरानी इमारतों को अब लोग अपने हिसाब से डिजाइन करने लगे हैं और उसे पेंट करके पुरानी दीवारों को नुकसान पहुंचा रहे थे, लेकिन अब बनारस के यह घाट एक जैसे दिखेंगे जैसा पहले हुआ करता थे. इसकी प्लानिंग हो चुकी है और 10 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से घाटों के इस पुरातन रूप को वापस लाने का प्रयास जल्द शुरू हो जाएगा.

बनारस एकमात्र ऐसा शहर है. जहां पर 84 घाटों की लंबी श्रृंखला है. इन घाटों के किनारे हर स्टेट के राजाओं की बिल्डिंग पुरातन समय से ही मौजूद है, लेकिन समय के साथ इन इमारतों का ठीक से रखरखाव ना होना, इनकी बदहाल स्थिति की वजह बनता जा रहा था. हालत यह है कि लोग इसे अपने हिसाब से रखरखाव करने लगे थे. इसके कारण बनारस के घाटों की सुंदरता तो प्रभावित हो रही थी. साथ ही सब घाटों की एकरूपता भी छीन रहे थे.

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इसको देखते हुए अब इन घाटों को एक रूप में बनाए रखने की कवायद शुरू की गई है. इस बारे में कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि जो बनारस के घाटों की खासियत 84 घाटों की लंबी श्रृंखला है। उसे एक रूप में रखने के लिए वाराणसी विकास प्राधिकरण की तरफ से एक प्लानिंग तैयार की गई थी. इस प्लानिंग को बोर्ड कमेटी की तरफ से मंजूरी मिलने के बाद अब इस पर काम शुरू हो गया है.

कमिश्नर ने बताया कि इस दिशा में काशी के सभी घाटों को एक रूप में बनाने के लिए सेंड स्टोन कलर से इनको रंगने का काम होगा. जो पुरातन बिल्डिंग हैं उनको उनके वास्तविक और पुराने रूप में रखते हुए सभी को एक तरह किया जाएगा. जबकि जो नई बिल्डिंग बनाई गई हैं उनको भी उसी रूप में रखा जाएगा, जिस रूप में पुरानी बिल्डिंग होगी. इससे पूरा घाटों का जो रुप है वह एक जैसा दिखेगा. इसकी वजह से काशी आने वाले पर्यटकों को बनारस के घाटों पर घूमते वक्त यह एहसास होगा कि वह किसी पुरातन शहर में ही मौजूद हैं.

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