वाराणसी में ऐसे मनाई गई गोपाष्टमी, ये है कथा

संक्षेप:

  • गोपाष्टमी के पर्व बड़ी धूम धाम से मनाया गया
  • गाय एवं बछड़ों को नहलाकर उनकी पूजा की
  • गायों में सभी देवी देवता का निवास माना जाता है

शिव की नगरी काशी में आज गोपाष्टमी के पर्व बड़ी धूम धाम से मनाया गया इस दिन गौ शालाओं में उपस्थित सभी गाय एवं बछड़ों को नहलाकर उनकी पूजा की जाती है मान्यता है कि गायों में सभी देवी देवता का निवास माना जाता है लिहाजा गौ सेवा और गौ पूजा दोनों का सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है। आज के दिन गौ पूजा से धान्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।  

कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी मनाया जाता है आज के दिन गाय और बछड़ो को नहला धुला कर श्रृंगार किया जाता है इसके बाद विधि पूर्वक पूजा करने के बाद आरती किया जाता है। सनातम धर्म की मान्यताओं के अनुसार गाय में 64 हजार देवी देवताओं का निवास होता है साथ ही आज के दिन से ही भगवान श्री कृष्ण गायों को चराने का काम शुरू किया था। गाय का मूत्र से दूध तक सभी मानव जीवन के लिए उपयोगी होता है बल्कि घर और मंदिर में होने वाली देव पूजा भी पूरी नहीं मानी जाती। 

ये है कथा 

ऐसी मान्यता है की कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को 6 साल की बाल अवस्था में पहली बार भगवान श्रीकृष्ण गौ चारण किया था। यही वजह है की आज सनातम धर्म से जुड़े लोग विधि विधान से गायों की पूजा और अर्चना करते है।  

 

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