वाराणसीः 24 घंटे में जले ट्रांसफार्मर बदलने के दावों की निकली हवा

संक्षेप:

  • सूबे की सरकार प्रदेश में जले ट्रांसफॉर्मर को 24 घंटे के भीतर बदलने का दावा कर रही थी
  • जेई अमित गुप्ता का कहना है कि स्टोर में टांसफार्मर उपलब्ध नहीं है उसे बदलने में दो दिन और लगेंगे
  • बरसात के मौसम में सैंकड़ों की संख्या में ग्रामीण अंधेरे में रात गुजारने को मजबूर हैं

वाराणसीः सूबे के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से लेकर सीएम योगी तक बिजली व्यवस्था में सुधार का दावा कर रहे हैं लेकिन सीएम योगी और उनके ऊर्जा मंत्री का दावा पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हवा हवाई साबित हो रही है।  सूबे की सरकार प्रदेश में जले ट्रांसफॉर्मर को 24 घंटे के भीतर बदलने का दावा कर रही थी लेकिन वाराणसी में मंत्री और अधिकारियों का ये दावे से इतर चार दिन बीतने के बाद भी जला ट्रांसफार्मर को बदलने में अधिकारी नाकाम साबित हुए।  दरअसल वाराणसी के चिरईगांव ब्लॉक के कमौली गांव में लगा 25 केवीए का ट्रांसफार्मर चार दिनों से जला हुआ है। जिससे पुरे गांव की बिजली आपूर्ति ठप है और लोग परेशान हैं। बिजली आपूर्ति न होने से गांव के किसान धान की रोपाई के लिए परेशान हैं। वहीं बरसात के मौसम में सैंकड़ों की संख्या में ग्रामीण अंधेरे में रात गुजारने को मजबूर हैं।

ग्रामीणों कि माने तो उन्होंने कई बार इसकी शिकायत की लेकिन बावजूद इसके चार दिन बीतने के बाद भी ट्रांसफार्मर बदला नहीं जा रहा है। कमौली गांव के लोगों ने बताया कि ट्रांसफॉर्मर जल जाने के कारण तकरीबन तीन सौ घरों की बिजली आपूर्ति बाधित है। बिजली न आने से सबसे ज्यादा परेशानी पेयजल की हो रही है। सबमर्सिबल पंप न चल पाने से पीने का पानी भी मुश्किल से मिल रहा है। इन दिनों धान की रोपाई का काम जोरों पर है। लेकिन बिजली आपूर्ति न होने से पम्प सेट नहीं चल पा रहे हैं। जिससे रोपाई का काम रुका हुआ है। स्थानीय जेई अमित गुप्ता का कहना है कि फिलहाल स्टोर में टांसफॉर्मर उपलब्ध नहीं है। टांसफार्मर बदलने में दो दिन और लगेंगे। जबकि पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम के प्रबंध निदेशक अतुल निगम लगातार अधिकारियों को 24 घंटे के भीतर ट्रांफॉर्मर बदलने का  निर्देश दिया है और स्टोर में ट्रांफॉर्मर के उपलब्धता का दावा भी करते है। अब सवाल ये है की यदि स्टोर में ट्रांसफॉर्मर है तो फिर उसे बदला क्यों नहीं जा रहा है। जो भी हो लेकिन एक बात तो साफ़ है की सरकार और उनके अधिकारियों के कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है।  

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