काशी में गंगा का अर्धचंद्राकार स्वरूप मिटने के कगार पर, नदी विज्ञानी बोले- भुगतने पड़ सकते है गंभीर परिणाम

संक्षेप:

  • वाराणसी में गंगा का अर्धचंद्राकार स्वरूप मिटने के कगार पर
  • गंगा के धारा में हो रहे निर्माण कार्य से हो रही है परेशानी
  • नदी विज्ञानियों ने सीएम और पीएम को इसे लेकर लिखा पत्र

वाराणसी- अर्धचंद्राकार घाटों वाली काशी में गंगा का अर्धचंद्राकार स्वरूप अब बीते दिनों की बात हो जाएगा। ललिता घाट पर हो रहे निर्माण कार्य के कारण गंगा के अर्धचंद्राकार स्वरूप और गंगा के बहाव को भी प्रभावित करेगा। नदी विज्ञानी प्रो. यूके चौधरी ने इस पर चिंता जताते हुए पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर समस्या को दूर करने की मांग की है।

नदी विज्ञानियों का कहना है कि गंगा के बीच धारा में निर्माण के दुष्परिणाम आने वाले पांच से छह सालों में नजर आने लगेंगे। घाटों पर बालू के पहाड़ बन जाएंगे, पंचगंगा के आगे कटाव तेज हो जाएगा और मालवीय पुल भी क्षतिग्रस्त हो सकता है। आईआईटी बीएचयू के नदी विज्ञानी प्रो. यूके चौधरी ने ललिता घाट पर सौ फीट लंबे और डेढ़ सौ फीट चौड़े बनाए गए प्लेटफार्म निर्माण पर चिंता जताई है।

प्रो. चौधरी ने बताया कि ललिता घाट पर ही काशी में गंगा अर्धचंद्राकार स्वरूप लेती हैं। वहीं पर बांधनुमा स्वरूप बनाकर गंगा के बहाव को रोक दिया गया है। इससे गंगा का अर्धचंद्राकार स्वरूप बदल गया है। विशेषज्ञों से परामर्श लिए बिना यह कार्य कराया जा रहा है। इससे गंगा के वेग में कमी आएगी और गंगा घाटों को छोड़ देंगी।

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इससे दशाश्वमेध से लेकर अस्सी तक बालू व सिल्ट भारी मात्रा में जमा हो जाएगी। ललिता घाट के बाद वरुणा पार तक मालवीय पुल के पास कटाव होगा। ललिता घाट पर बनाया गया बांध 90 डिग्री के कोण पर बनाया गया है। इससे जो हानियां होंगी उनका अंदाजा लगाना मुश्किल है। 

उन्होंने बताया कि अस्सी से दशाश्वमेध तक घाटों से खिसक जाएंगी। ललिता घाट पर जलधारा अवरुद्ध होने से दशाश्वमेध के अपस्ट्रीम में मिट्टी का जमाव होगा। ललिता घाट के बाद गंगा घाटों का नजारा बदल जाएगा। इससे मालवीय पुल के पिलर भी क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। इसका प्रभाव गंगा के 50 किलोमीटर के अप और डाउन स्ट्रीम में नजर आएगा। रामनगर किले के पास हैवी सिल्ट जमा होगी। गंगा में जल परिवहन की संभावनाओं पर भी संकट के बादल मंडराएंगे। 

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व न्यास अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने कहा कि अपवर्ग प्रदान करने वाली मां गंगा तारक मंत्र देने वाले बाबा विश्वनाथ के गंगा तटीय मूलस्वरूप में कोई बदलाव नहीं होगा ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था। इसी विश्वास पर काशीवासियों को विश्वास है। प्रधानमंत्री से निवेदन है कि वह इस पर जल्द से जल्द ध्यान दें।

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