Holi 2019: होरी खेलें मसाने में... गुलाल से नहीं चिता की राख से वाराणसी में खेलते हैं होली

संक्षेप:

  • काशी(Kashi) में अनोखी परंपराओं के तहत यहां भस्‍म से बाबा विश्‍वनाथ के भक्‍तों ने होली (Holi 2019) खेली
  • सैकड़ों भक्त डमरू, त्रिशूल के साथ चिताओं की भस्म उड़ाकर होली खेलने लगे
  • महादेव की नगरी काशी(Varanasi) में सोमवार को होली का रंग दिखा

वाराणसी: मणिकर्णिका घाट (Manikarnika Ghat)पर सोमवार को अदभुत नजारा दिखा. निराली काशी(Kashi) में अनोखी परंपराओं के तहत यहां भस्‍म से बाबा विश्‍वनाथ के भक्‍तों ने होली (Holi 2019) खेली. इस दौरान शंखनाथ, ढोल नगाड़े पर बाबा की जयकार के साथ उनके भक्‍तों ने घाट पर जमकर होली (Holi 2019) खेली.

महादेव की नगरी काशी(Varanasi) में सोमवार को होली का रंग दिखा. मणिकर्णिका महाश्मशान पर सोमवार की दोपहर होली का बड़ा अद्भुत नजारा रहा. एक तरफ चिताएं जलती रहीं तो दूसरी ओर बुझी चिताओं की राख और भस्म से साधु-संत और भक्तगणों ने जमकर होली खेली. डमरुओं, ढोल, मजीरे की धुन में भक्तों ने झूम-झूम कर नृत्य किया. हर हर महादेव के उद्घोष से महाश्मशान गूंजता रहा.

होरी खेलें मसाने में... के बोल पर होरी गूंजी तो लोग थिरकने से खुद को नहीं रोक सके. दुनिया के कई देशों के पर्यटक भी चिता की भस्म से होली खेलने के उन क्षणों के साक्षी बने. रविवार को गौरा का गौना कराने के दूसरे दिन सोमवार को मणिकर्णिका श्मशान पर होली देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी. सोमवार दोपहर 12 बजे मशानेश्वर महादेव के मंदिर में भोग आरती हुई. इस दौरान सैकड़ों भक्त डमरू, त्रिशूल के साथ चिताओं की भस्म उड़ाकर होली खेलने लगे.

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ऐसी मान्‍यता है कि जब बाबा माता पार्वती का गौना करा कर हिमालय चले गये तो उस समय उनके अन्य गड़ उस गौना में नहीं जा पाए थे. इसी कारण बाबा महाश्मशान पर चिता भस्म होली खेलकर अपने भक्तों को खुशी प्रदान करते हैं. यह अति प्राचीन परम्परा आज तक चली आ रही है. इस मौके पर महाश्‍मशान नाथ बाबा की गुलशन कपूर व चेनू साव ने आरती उतारी. साथ ही तरह तरह के व्‍यंजनों का भोग लगाया गया. इस बीच वाद्ययंत्रों के साथ चिता भस्म की होली खेली गई.

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