- घर-घर जाकर रोटी-सब्जी बांटने का करते हैं काम
- गरीबों और असहायों की मिटाते हैं भूख
- खुद का रोटी बैंक चलाते हैं किशोर
वाराणसीः भूख क्या होती है यह गरीबी की मार झेल रहे लोगों से बेहतर कोई नही समझ सकता, ऐसे ही गरीब का दर्द देख काशी के किशोर ने गरीबों की भूख मिटाने की पहल की और बना लिया रोटी बैंक! यह एक अनोखी और बेमिसाल पहल है गरीबों की भूख मिटाने के लिए। यह अनूठा रोटी बैंक हर रोज शहर के दर्जनों गरीब और बेसहायों की भूख मिटाता है। ये रोटी बैंक सामनेघाट के पास महेशनगर में है। मूल रूप से बिहार के रहने वाले किशोर तिवारी इस बैंक को चलाते हैं।
आमतौर पर आप बैंक का नाम सुनते ही आपके दिमाग में पैसे के लेनदेन की बाते आती है लेकिन काशी के किशोर ने एक अनूठा बैंक बनाया है जहां रुपये-सिक्के नहीं, रोटी-चावल जुटाया जाता है और ये भोजन बिना किसी रकम और ब्याज के गरीब और असहायों को बांटा जाता है।
ये रोटी बैंक सामनेघाट के पास महेशनगर में है। मूल रूप से बिहार के रहने वाले किशोर तिवारी बैंक को चलाते हैं। इस बैंक से अब तक दो दर्जन से अधिक लोग जुड़ चुके हैं। किशोर तिवारी यूं तो गरीब बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं लेकिन फिलहाल पूरी शिद्दत से रोटी बैंक की अपनी योजना को साकार करने में जुटे हैं।
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ऐसे आया ख्याल
भूख मिटाने की जद्दोजहद में रोटी के टुकड़ों की तलाश में लोग कूड़े के ढेर तक को उधेड़ जाते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ था उस दिन भी, जब बनारस के किशोर तिवारी गंगा घाट पर बैठे थे और कुछ ही दूरी पर कूड़े के ढेर में कुछ बच्चे भोजन की तलाश में जूझ रहे थे। यही वो पल था, जब किशोर कांत ने महसूस किया कि कुछ ऐसा होना चाहिए जिससे घरों में बचा भोजन सीधे इन गरीब परिवार को मिल सके। इसी सोच की जमीन पर नींव पड़ी रोटी बैंक की। किशोर ने NYOOOZ से ख़ास बातचीत में बताया की गरीबों की भूख को मिटाने के लिए वो हर रात शहर के अलग-अलग जगहों से खाने का कलेक्शन करते हैं और फिर उन्हें गरीब और जरुरतमंदों को दे देते हैं। कई सारे लोग उन्हें इसके लिए मदद करते हैं जिसके कारण वो इस बैंक को चला पाते हैं। उन्होंने बताया की अभी सिर्फ बीस दिन ही हुए हैं उन्हें इसे शुरू किये।
रोटी बैंक में जमा होती है ये पूंजी
वह लोगों से रोजाना सिर्फ दो रोटी, सब्जी या अचार दान में मांगते हैं। अब तक 25 से अधिक लोग नियमित दानदाता के तौर पर जुड़ चुके हैं। जो रोजाना उनके बैंक में रोटी दान में देते हैं। बैंक की ओर से रोजाना शाम छह बजे के बाद लंका, अस्सी, सामनेघाट पर सड़क और घाट किनारे रहने वालों को रोटी-सब्जी और अचार बांटा जाता है।
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