वाराणसी की मां गंगा को क्या भूल गए पीएम मोदी ? आज है इस हालत में

संक्षेप:

  • पीएम मोदी ने कहा था `ना मैं यहां आया हुं, ना मुझे किसी ने भेजा है, मुझे माँ गंगा ने बुलाया है`
  • नदी के आधे से अधिक भाग में लोग अपने चार पहिया वाहन से पहुंच रहे हैं
  • वाराणसी की गंगा के लिए 20 हज़ार करोड़ रुपये का बजट रखा गया

मोक्षदायिनी माँ गंगा सदियों से आस्था का केंद्र होने के साथ जीवनदायिनी भी रही है। गंगोत्री से निकलकर गंगासागर तक जाने वाले गंगा करोड़ों लोगों के जीवन जीने का आधार भी है लेकिन आज गंगा की दुर्दशा देखकर आप शायद हैरान भी होंगे और परेशान भी। आज हम आपको गंगा का हाल  जगह दिखाएंगे जिस जगह की चर्चा पिछले 4 सालों में सबसे ज्यादा हुई है। जी हां, हम आज आपको प्रधानमंत्री वाराणसी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में उस माँ गंगा की दुर्दशा से रूबरू कराएंगे जिस माँ गंगा के तट पर खड़े होकर पीएम मोदी ने कहा था `ना मैं यहां आया हुं, ना मुझे किसी ने भेजा है, मुझे माँ गंगा ने बुलाया है`। लेकिन गंगा कि स्थिति उनके ही संसदीय क्षेत्र में यह है कि नदी के आधे से अधिक भाग में लोग अपने चार पहिया वाहन से पहुंच रहे हैं।

गंगा नदी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने ना सिर्फ बड़ी बातें कहीं बल्कि अपनी सरकार बनने के बाद गंगा स्वच्छता के लिए एक अलग मंत्रालय तक बना दिया। गंगा नदी की निर्मलता और अविरलता को लेकर आंदोलन चलाने वाले साध्वी उमा भारती को मंत्रालय का ज़िम्मा सौंपा गया। जिसमें 20 हज़ार करोड़ रुपये का बजट रखा गया। समय बीतने के साथ गंगा को लेकर बड़ी बड़ी योजनाएं भी बनीं और यहां तक कि गंगा को गंगासागर तक मालवाहक जहाज का रास्ता बनाने के लिए तैयार करने तक कि योजना पर काम शुरू कर दिया गया पर आज जो तस्वीर हम आपको दिखाने जा रहे हैं। उस तस्वीर को देखकर आप सोचने को मजबूर हो जाएंगे कि जिस नदी में छोटी सी नाव चलानी मुश्किल है, उसमें मालवाहक जहाज चलाने की योजना कैसे पूरी होगी। आलम यह है कि गंगा में नाव तो दूर की बात है बल्कि उसके स्थान पर फोर वीलर और टू वीलर गाड़ियां आराम से चल रही हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो आज जो गंगा की स्थिति है वह कभी देखने को नही मिली थी ।

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