NYOOOZ का बड़ा खुलासा: वाराणसी पुलिस के हथियार हैं कबाड़

संक्षेप:

  • बसपा-सपा के शासनकाल में पुलिस आधुनिकीकरण योजना पर एक बड़ी धनराशि का आवंटन हुआ था
  • कैग के ताजा रिपोर्ट में प्रदेश पुलिस के तकरीबन आधे असलहों को कबाड़ करार दिया है
  • रिपोर्ट में 48 प्रतिशत पुलिस बल को अभी भी प्वाइंट 303 बोर रायफल का प्रयोग करना बताया गया है

वाराणसीः कैग की ताजा  रिपोर्ट ने प्रदेश के पुलिस द्वारा प्रयोग किये जाने वाले हथियारों को कबाड़ बताकर यूपी पुलिस की व्यवस्था और पूर्व की सरकार पर इसके अनदेखी का आरोप लगाते हुए इसे फेल बताया है। बता दें, कैग ने वर्ष 2011-16 में आवंटित बजट के खर्च के ऑडिट में ये बातें कही हैं। दरअसल बसपा-सपा के शासनकाल में पुलिस आधुनिकीकरण योजना पर एक बड़ी धनराशि का आवंटन हुआ था जिसको कैग अपनी मुहर नहीं लगाई है। कैग के ताजा रिपोर्ट में प्रदेश पुलिस के तकरीबन आधे असलहों को कबाड़ करार दिया है। रिपोर्ट में 48 प्रतिशत पुलिस बल को अभी भी प्वाइंट 303 बोर रायफल का प्रयोग करना बताया गया है।  

जिसे 20 साल पहले ही गृहमंत्रालय ने कंडम घोषित कर दिया था। बनारस के पुलिस जवान कितने अत्याधुनिक असलहों से लैस हैं ये जानने के लिए NYOOOZ की टीम ने वाराणसी के लंका, भेलूपुर और लक्सा थाने का जायजा लिया। वाराणसी के लंका और लक्सा थाने की पुलिस ने अत्याधुनिक असलहों के लैस और उनके प्रयोग के सवाल पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया लेकिन भेलूपुर थानाध्यक्ष संजीव ने NYOOOZ से बात में स्वीकार किया की पुलिस और आरक्षियों के पास अत्याधुनिक असलहे नहीं हैं। उन्होंने बताया की उन्हें पुलिस लाइन से जो असलहे मिले हैं वो उनका रखरखाव ठीक ढंग से करते हैं और थाने के सभी आरक्षी उसे चलाने में सक्षम हैं। लेकिन बाकी दो थानों की पुलिस ने जो किया उससे एक बात तो साफ़ है की पुलिस के जवान हथियारों को चलाने में दक्ष नहीं है।  


जानिये सीएजी के रिपोर्ट में क्या कहा 

- सीएजी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में लगभग 48 प्रतिशत पुलिस बल अब भी प्वाइंट 303 बोर राइफल का उपयोग कर रहा है, जिसे 20 साल पहले गृह मंत्रलय ने अप्रचलित घोषित कर दिया था। 

- कैग ने पाया कि 43 जिलों में पुलिस के वाहनों की कमी है। इसके बावजूद गृह विभाग ने पूर्व मुख्यमंत्री की सुरक्षा के नाम पर 10 बुलेट प्रूफ टाटा सफारी व 8 सामान्य सफारी वाहनों की खरीद की। 

- पूर्व मुख्यमंत्री की सुरक्षा के नाम पर 3.66 करोड़ गैर जरूरी खर्च मर्सिडीज मॉडल एम-गार्ड गाड़ियों पर किया गया, जबकि इससे पहले लैंड क्रूजर गाड़ियां खरीदी थीं। 

- वर्ष 2011-16 के बीच आधुनिकीकरण के लिए 462.87 करोड़ आवंटित हुए थे। सरकार ने संसाधनों से 2276.31 करोड़ के बजट की व्यवस्था की। ऑडिट में पाया कि आधुनिकीकरण के दस साल बाद भी पुलिस बल पुराने हथियारों व पुरानी तकनीकी से काम कर रही है।

- राज्य में फिलहाल केवल 1460 पुलिस थाने हैं जो तय मानक के हिसाब से 1115 (44 प्रतिशत) कम हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में 41 प्रतिशत और नगरीय क्षेत्रों में 51 प्रतिशत पुलिस थानों की कमी है। 

- मार्च 2015 तक 1,25,998 आवासों की आवश्यकता के सापेक्ष 59453 (48 प्रतिशत) की कमी पाई गई तथा 68874 कर्मियों की बैरक की आवश्यकता के सापेक्ष 18259 (26 प्रतिशत) कर्मियों के लिए बैरक की कमी मिली।

- गृह विभाग फोरेंसिक लैब को आधुनिक और उपयोगी बनाने में भी विफल रहा। वर्ष 2011-16 के दौरान केवल 44 फीसदी जिलों में ही आधुनिक उपकरणों से युक्त मोबाइल फोरेंसिक वैन उपलब्ध कराई जा सकीं। 

- देश में आतंकी घटनाओं को देखते हुए प्रदेश पुलिस ने एटीएस के अधीन 2000 कमांडो की एक यूनिट तैयार करने का निर्णय लिया था लेकिन इसकी स्वीकृति नहीं की गई। 

- पीएसी के 79 जवानों को प्राथमिक कमांडो ट्रेनिंग देकर एटीएस के आपरेशन में इस्तेमाल किया जा रहा है। जून 2011 में कमांडो ट्रेनिंग स्कूल की मंजूरी दी गई, लेकिन तीन वर्षों में यह तैयार नहीं हो सका। 

- योजना पर 12.49 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो गया। पुलिस ट्रेनिंग स्कूल्स में प्रशिक्षण की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।

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