अक्षय तृतीया के दिन मनाई जाती है परशुराम जयंती, ये है कथा

संक्षेप:

  • अक्षय तृतीया के दिन मनाई जाती हैं परशुराम जयंती
  • 21 बार धरती को किया था क्षत्रिय विहीन
  • गणेश भगवान को भी नहीं था बख्शा

कलयुग चल रहा है और माना जाता है कि आज के समय में भी ऐसे 8 चिरंजीव देवता और महापुरुष हैं जो जीवित हैं। इन्हीं 8 महापुरषों में एक भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम हैं। जिनती जंयती अक्षय तृतीया के दिन मनाई जाती है। कहा जाता है कि भगवान शिव के परमभक्त परशुराम न्याय के देवता हैं।

जिन्होंने 21 बार इस धरती को क्षत्रिय विहीन किया था। इतना ही नहीं इन्होंने क्रोध में भगवान गणेश को भी नहीं बख्शा था। परशुराम ने अपने माता-पिता के अपमान का बदला लेने के लिए 21 बार इस धरती को क्षत्रिय विहीन कर दिया था। ऐसा इसलिए क्योंकि हैहय वंश के राजा सहस्त्रार्जुन ने अपने बल और घमंड की वजह से ब्राह्राणों और ऋषियों पर अत्याचार किए जा रहा था।

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एक बार सहस्त्रार्जुन अपनी पूरी सेना समेत भगवान परशुराम के पिता जमदग्रि मुनी के आश्रम पहुंच गया। मुनि ने कामधेनु गाय के दूध से पूरी सेना का आदर से स्वागत किया लेकिन चमत्कारी कामधेनु को उसने अपने बल का प्रयोग कर बलपूर्वक छीन लिया। उसके बाद जब यह बात परशुराम को पता चली तो।

उन्होंने सहस्त्रार्जुन को मार डाला। उसके बाद सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने बदला लेने के लिए परशुराम के पिता का वध कर दिया और माता-पिता के वियोग में चिता पर सती हो गईं। इसके बाद पिता के शरीर पर 21 घाव को देखते हुए परशुराम ने शपथ ली थी कि वह इस धरती से समस्त क्षत्रिय वंशों का संहार कर देंगे।

इसके बाद पूरे 21 बार उन्होंने पृथ्वी से क्षत्रियों का विनाश कर अपनी प्रतिज्ञा पूरी की। जानकारों की मानें तो एक बार परशुराम भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे, लेकिन भगवान गणेश ने उन्हें मिलने से इनकार कर दिया।

इस बात पर परशुराम को क्रोध आ गया और उन्होंने अपने फरसे से भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया था। इस वजह से भगवान गणेश एकदंत भी कहा जाता है। अक्षय तृतीया के दिन होती है परशुराम जयंती, जिन्होंने 21 बार धरती को किया था क्षत्रिय विहीन

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