पीएम मोदी ने माफ किया 5 महीने की बच्ची के इलाज के लिए 16 करोड़ रुपए के इंजेक्शन पर 6.5 करोड़ का टैक्स

संक्षेप:

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी थी, जिसके बाद ये छूट दी गई। जानकारी के मुताबिक, विदेश से आने वाला ये इंजेक्शन करीब 16 करोड़ रुपए की कीमत का था।

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जानकारी दी है कि केंद्र की मोदी सरकार ने दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त पाँच महीने की एक बच्ची की दवाइयों पर 6 करोड़ रुपए का आयात शुल्क एवं GST माफ कर दिया है।

मुंबई के एक अस्पताल में मौत से जंग लड़ रही 5 महीने की तीरा कामत के इलाज के लिए बड़ा कदम उठाया गया है। तीरा के इलाज के लिए विदेश से आने वाले इंजेक्शन को टैक्स से छूट दे दी गई है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी थी, जिसके बाद ये छूट दी गई। जानकारी के मुताबिक, विदेश से आने वाला ये इंजेक्शन करीब 16 करोड़ रुपए की कीमत का था। साथ ही इस पर टैक्स की कीमत 6 करोड़ रुपए थी, जिससे अब छूट दे दी गई है।

देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी थी और अपील की थी कि बाहर से आने वाले इंजेक्शन में टैक्स की छूट दी जाए ताकि बच्ची का इलाज हो सके। जिस पर पीएमओ की ओर से एक्शन लिया गया और टैक्स में छूट दे दी गई।

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बता दें कि तीरा कामत का इलाज मुंबई के एक अस्पताल में चल रहा है। तीरा SMA Type 1 बीमारी से जूझ रही है। एक्सपर्ट का कहना है कि इस बीमारी के कारण बच्ची की जिंदगी सिर्फ 18 महीने तक ही हो सकती है, यही कारण है कि अमेरिका से लाया गया इंजेक्शन काफी जरूरी था।

इस मासूम का जन्‍म पाँच महीने पहले हुआ था। तब वह जन्‍म के वक्‍त रोई थी थी और सब ठीक ही था। हाँ, आम बच्‍चों की तुलना में उसकी लंबाई थोड़ी ज्‍यादा थी और इसलिए माँ-बाप ने उसका ये खास नाम तीरा रखा, यानी तीर की तरह लंबी।

तीरा अस्‍पताल से घर आ गई थी और सब ठीक ही चल रहा था, लेकिन अचानक उसे माँ का दूध पीने में द‍िक्‍कत होने लगी। दूध पीते वक्‍त उसका दम घुटता था और एकाध बार कुछ सेकंड के लिए उसकी साँस भी थम गई थी। पोलियो ड्रॉप पिलाए जाने के दौरान भी जब उसे इसी तरह की दिक्‍कत हुई, तब खतरे का अंदाजा लगा।

डॉक्‍टरों ने उसे स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉपी यानी SMA टाइप 1 से पीड़ित पाया। उसके शरीर में प्रोटीन बनाने वाला जीन ही मौजूद नहीं था, जिससे मांसपेशियाँ और तंत्रिकाएँ जीवित रहती हैं। यही वजह है कि उसके शरीर की तंत्रिकाएँ निर्जीव होने लगी थीं। दिमाग की मांसपेशियाँ भी निर्जीव होती जा रही थीं, जिससे उसे साँस लेने में तकलीफ हो रही थी। उसे 13 जनवरी को मुंबई के अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था। धीरे-धीरे उसके एक फेफड़े ने भी काम करना बंद कर दिया, जिसके बाद उसे वेंटिलेटर पर रखा गया।

तीरा के माता-पिता का नमा प्रियंका और मिहिर है, जिनके पैरों के नीचे से उस वक्‍त जमीन खिसक गई थी, जब डॉक्‍टरों ने उन्‍हें बताया कि यह मासूम ज्‍यादा दिनों तक जी नहीं सकेगी, क्‍योंकि भारत में इसका उपचार उपलब्‍ध नहीं है। नाजुक हालत में उसे कहीं लेकर जाना भी मुश्किल था, इसलिए यह खास इंजेक्‍शन अमेरिका से मँगाने की कोशिश हुई। इंजेक्‍शन की 16 करोड़ रुपए की कीमत सुनकर पहले तो वे सकते में आए, लेकिन फिर उन्‍होंने क्राउड फंडिंग के जरिए यह रकम जुटाने की कोशिश शुरू कर दी, जिसमें उन्‍हें सफलता भी मिली।

उनकी चिंता अब इस इंजेक्‍शन पर लगने वाले अलग-अलग तरह के टैक्‍स को लेकर थी, जो तकरीबन 6.5 करोड़ रुपए है। अब सरकार ने इस पर लगने वाले सभी तरह के टैक्‍स से छूट देने का फैसला किया है, जिसे तीरा के परिजनों के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है।

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