रक्षाबंधन 2018: जानिए कब बांधे राखी, जिससे भाई-बहन के रिश्ते होंगे और भी मजबूत

संक्षेप:

  • 26 अगस्त को है रक्षाबंधन का पर्व
  • यह है राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
  • मजबूत होगी भाई-बहन के प्यार की डोर

वाराणसी: 26 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा. इसको लेकर इन दिनों देशभर में तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. हर कोई इस पवित्र रिश्ते को बेहद ही खास और पवित्र अंदाज में मनाना चाहता है. इन सबके बीच बहनों को भाइयों की कलाई पर राखी का शुभ मुहूर्त जानना भी जरूरी है.

रक्षाबंधन की तैयारियों के बीच यह और भी खास कैसे बने, कैसे हो भाई की रक्षा, कैसे मनाएं रक्षाबंधन और कब बांधे राखी यह जानना बेहद जरूरी होता है. वजह सही मुहूर्त और समय काल में रक्षाबंधन का पर्व मनाए जाने से न सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते और भी मजबूत होते हैं बल्कि बहनों के प्यार के धागे से बंधने वाले भाइयों की जिंदगी की डोर भी मजबूत और लंबी होती है। तो क्या है इस रक्षाबंधन पर शुभ मुहूर्त और कैसे मनाएं इस पर्व को और कब बांधे राखी. इस बारे में विस्तार से जानिए...

रक्षाबंधन का पर्व 26 अगस्त को मनाया जाना है. इसे लेकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विनय कुमार पांडेय ने बताया कि श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाले रक्षाबंधन पर्व का महत्व भाई बहन के रिश्ते के लिए बेहद खास होता है.

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उन्होंने बताया कि सामान्य तौर पर पूर्णिमा में भद्रा होती है और हिंदू धर्म शास्त्र में भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. कहा भी गया है कि शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को भद्रा पूर्वार्ध में होती है, यानी 24 घंटे के पूर्णिमा का जो महत्व होता है. उसमें 12 घंटे में भद्रा होती है, लेकिन शनिवार यानि 25 अगस्त को ही इस बार शाम को पूर्णिमा लग जा रही है. इसलिए जो भद्रा वाला काल है, वह शनिवार रात्रि में ही व्यतीत हो जाएगा.

प्रो पांडेय ने बताया कि भद्रा के शनिवार को ही खत्म हो जाने के कारण इस बार रक्षाबंधन का जो शुभ काल है, वह रविवार की सुबह सूर्योदय से लेकर रविवार की शाम 4 बजकर 15 मिनट तक का मुहूर्त अच्छा है. यानी इस दिन पूरा दिन आप रक्षाबंधन का पर्व मना सकते हैं और बहनें भाइयों के कलाई पर राखियां बांध सकती हैं.

प्रो. पांडेय ने कहा कि हां यह जरूर है कि जब भद्रा होती है तो उसके दोष निवारण की जरूरत पड़ती है,  लेकिन इस बार भद्रा 1 दिन पहले रात्रि में ही खत्म हो जा रही है. इसलिए रविवार को इस बार पूरा दिन शाम 4 बजकर 15 मिनट तक किसी भी वक्त में राखी बांध सकते हैं. 

प्रोफेसर विनय पांडेय के मुताबिक, रक्षाबंधन यानी भाद्र शुक्ल पक्ष पूर्णिमा के दिन ही एक और पूजन होता है. जिसे श्रावणी उपाकर्म के नाम से जाना जाता है. उन्होंने बताया कि श्रावणी उपाकर्म वह कर्म है जो वर्ण व्यवस्था के तहत ब्राह्मणों के लिए बनाया गया है. अपने जीवन में हुए जाने अनजाने पापों से मुक्ति के लिए रक्षाबंधन के दिन सूर्य उदय के वक्त इस अनुष्ठान को किसी जलाशय नदी में खड़े होकर किया जाता है. यह पर वह भी इसी दिन सुबह मनाया जाएगा.

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