शिव महिमा का पावन महीना सावन शुरू, इस विधि से करें बाबा भोलेनाथ का पूजन

संक्षेप:

  • भगवान शिव का अति प्रिय पावन महीना सावन बुधवार को पूर्वाभाद्र पद नक्षत्र में शुरू हो गया है.
  • सुबह 4 बजे से सभी शिवालयों में हर हर महादेव के जयकारों के साथ श्रद्धालु भगवान भोले नाथ का जल, दूध, गंगाजल आदि से अभिषेक कर रहे हैं.
  • इस बार सावन में चार सोमवार पड़ रहे हैं.

वाराणसी: भगवान शिव का अति प्रिय पावन महीना सावन बुधवार को पूर्वाभाद्र पद नक्षत्र में शुरू हो गया है. सुबह 4 बजे से सभी शिवालयों में हर हर महादेव के जयकारों के साथ श्रद्धालु भगवान भोले नाथ का जल, दूध, गंगाजल आदि से अभिषेक कर रहे हैं. कांवड़ यात्रा भी निकाली जाएगी. इस बार सावन में चार सोमवार पड़ रहे हैं.

सावन में है इस बार सिद्ध योग

अपने आराध्य की सेवा और उनकी आराधना के लिए भक्तों ने सभी छोटे-बडे़ शिवालय सजा लिए हैं. रंग बिरंगी बिजली की झालरें लगा दी हैं और रंग रोगन भी कर दिया है. शिव भक्ति के लिए सावन का महीना विशेष महत्व का रहता है. महंत विष्णु दत्त स्वामी के अनुसार सावन की शुरुआत पूर्वाभाद्र पद नक्षत्र में होगी. इस दौरान शोभन और सिद्धि योग रहेगा, जो शुभ है.

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इस बार सावन में चार सोमवार

सुबह 8:30 बजे के बाद उत्तराभाद्र पद नक्षत्र लग गया. इस बार सावन में चार सोमवार पडे़ंगे. इनमें पहला 22 जुलाई को, दूसरा 29 जुलाई को, तीसरा 5 अगस्त को तथा चौथा 12 अगस्त को पडे़गा. शिव भक्ति के लिए सोमवार अति पावन दिवस रहता है. इधर महानगर के शिवालयों में रुद्राभिषेक, जल अभिषेक और अनुष्ठानों के लिए तैयारियां कर ली गई हैं.

कांवड़ यात्रा और रूद्राभिषेक का है विशेष महत्व

सावन के महीने में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि सावन मास भगवान भोलेनाथ को प्रिय है और इसमें शिवलिंग को गंगा जल से जलाभिषेक करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. मान्यता है कि सावन मास में भगवान शिव का गंगाजल व पंचामृत से अभिषेक करने से उन्हें शीतलता मिलती है और वे प्रसन्न होते हैं. इस दौरान भोले के भक्त कांवड़ यात्रा, रुद्राभिषेक, जप-तप के जरिए भगवान शिव को प्रसन्न करने के वह सभी उपाय करेंगे जिससे उनका आशीर्वाद प्राप्त हो सके.

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