वाराणसी में महिलाओं का जमकर "सिंदूर खेला"

संक्षेप:

  • विजयदशमी का पर्व आज
  • महिलाओं ने सिंदूर खेला
  • स्वर्णकार क्षत्रिय कमेटी के लोगों ने किया शस्त्र पूजन

वाराणसी: जहां एक ओर भक्त मां के नव दिनों के पूजा के बाद विजय दशमी के पर्व को मनाता है और पंडालों में स्थापित मूर्तियों को पवित्र धारा में विसर्जित करता हैं तो वहीं बंगाली समुदाय आज दुर्गा प्रतिमा के पूजा की समाप्ति के बाद मां की विदाई के अवसर पर होली खेलते हैं और ये होली होती है रंग अबीर की नहीं बल्कि सनातन धर्म में सुहाग का प्रतीक सिंदूर की।

वही सिंदूर जो महिला अपने मांग की शोभा मानती है। वाराणसी में माँ दुर्गा को सिंदूरदान करने के बाद सुहागन महिलाओं ने सिंदूर खेला और माता से अपने पति की लंबी उम्र की कामना की।

वाराणसी को दुर्गा पूजा की नज़र से मिनी बंगाल का कहा जाता है। आज विजया दशमी के बाद  माँ का विसर्जन होता है। विसर्जन से पहले जब माँ अपने माईके से विदा होती है तो सभी सुहागन औरते माँ को सिंदूर लगाने के बाद उस सिन्दूर को आपस में लगाती है। मान्यता है की ऐसा करने से पति की उम्र लम्भी होती है, इस दौरान माता को मिठाई भी अपने हाथो से सुहागन औरतें खिलाती है।

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वहीं दूसरी तरफ वाराणसी में दशहरे के दिन स्वर्णकार क्षत्रिय कमेटी के लोगों ने भी शस्त्र पूजन करके शक्ति की आराधना और बुराई पर अच्छाई के पर्व विजया दशमी की शुरुआत की।स्वर्णकार समाज के लोगों ने सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए शस्त्र पूजन किया।

इनका मानना है की देश, समाज के हित के लिए जब भी जरुरत हम शस्त्र उठाने से पीछे नहीं हटेंगे। खास तौर पर दुश्मन देश जिस तरह से हमारे देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहा है उनके खिलाफ हम शस्त्र उठा कर उनका संघार करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। यही कारण है की आज माँ शक्ति की आराधना नवरात्री के बाद विजया दशमी के दिन जब भगवान् ने बुराई रूपी रावण का अंत किया था उसी दिन हम लोग इस पूजन को करने के बाद पर्व मनाते हैं । 

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