वाराणसी: स्मॉग से धीमी हुई ट्रेनों की रफ्तार

संक्षेप:

  • वाराणसी में धुंध का ट्रेनों पर असर
  • ट्रेनों की रफ्तार हुई कम
  • डिले की वजह से लोगों की बढ़ी मुश्किलें

वाराणसी: बदलते मौसम और बढ़ते धुंध ने ट्रेन के रफ़्तार कम कर दी है। ट्रेन की गति पर मौसम की ब्रेक के बाद देशभर के तमाम स्टेशन पर यात्रियों की फजीहत बढ़ गयी है। राजधानी से लेकर सुपरफास्ट एक्सप्रेस तक अब पैसेंजर से बुरी स्थिति में चल रही है। पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का हाल भी कुछ ऐसा ही है। स्टेशन पर बैठे बैठे यात्री सुबह से शाम तक का समय ट्रेनों के इन्तजार में गुजार दे रहे और सरकार है की देश में चल रही ट्रेनों को छोड़ बुलेट ट्रेन को पटरियों पर दौड़ाने की योजना बना रही है।

जिस देश में आम ट्रेनों को समय से चलना मुश्किल है। वहां आज सरकार बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारी कर रही है, लेकिन सवाल ये है की जब लाख दावें और तमाम सरकारी प्रयासों के बाद मौसम में बदलाव शुरू होने के साथ ट्रेन की पांच से पंद्रह घंटे तक लेट चल रही है तो वहाँ बुलेट ट्रेन कैसी पटरियों पर दौड़ेगी।

बुलेट ट्रेन को भी पटरियों पर सरकार इसमें कोई खामी नहीं है लेकिन पहले जो ट्रेनें पटरियों पर सालों से दौड़ रही है उसे तो समय से पहुँचाइये साहब। ये वो सवाल है जो आज जनता से कर रही है लेकिन सरकार है की व्यवस्था को बनाने की बात को लेकर हर साल अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेती है।

ये भी पढ़े :


ठण्ड अभी शुरू हुई है और कोहरे ने अपना कहर दिखाना शुरू किया है। कोहरे के कारण गाड़ियों की अधिकतम गति 60 तक निर्धारित हो जायेगी। वाराणसी के कैंट स्टेशन से होकर नई दिल्ली जाने वाली गाड़ियों का परिचालन ज्यादा प्रभावित है। बुधवार को भी कैंट स्टेशन पर कई गाड़ियां देरी से पहुंचीं। इनमें दिल्ली से आने वाली सद्भावना एक्सप्रेस छह घंटे, बरेली एक्सप्रेस आठ घंटे, जोधपुर से आने वाली मरुधर एक्सप्रेस छह घंटे, मालदाटाउन से दिल्ली जाने वाली फरक्का एक्सप्रेस चार घंटे, कोटा-पटना एक्सप्रेस 12 घंटे, सिंगरौली-वाराणसी इंटरसिटी 10 घंटे, लखनऊ-वाराणसी इंटरसिटी छह घंटे, हरिद्वार-मालदाटाउन स्पेशल गाड़ी 12 घंटे, जम्मूतवी-कोलकाता एक्सप्रेस नौ घंटे, दिल्ली-हावड़ा पूर्वा एक्सप्रेस 16 घंटे, लोकमान्य तिलक टर्मिनस-दरभंगा एक्सप्रेस 20 घंटे देरी से पहुंचीं।

If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

अन्य वाराणसीकी अन्य ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें और अन्य राज्यों या अपने शहरों की सभी ख़बरें हिन्दी में पढ़ने के लिए NYOOOZ Hindi को सब्सक्राइब करें।