मुश्किल हालातों से लड़कर भारतीय टेनिस जगत की नई सनसनी बने वाराणसी के सिद्धार्थ विश्वकर्मा

संक्षेप:

  • सिद्धार्थ विश्वकर्मा ने खेल से मनवाया लोहा
  • राष्ट्रीय टेनिस फेनेस्टा ओपन का खिताब किया अपने नाम
  • मुश्किल हालातों से लड़कर पहुंचे यहां

वाराणसी: वाराणसी के सिद्धार्थ विश्वकर्मा ने भारतीय टेनिस में जोरदार दस्तक देते हुए अपने खेल का लोहा मनवाया है। वाराणसी के कैंट थाना क्षेत्र के गांव घौषाबाद निवासी इस बाएं हाथ के खिलाड़ी ने बीते शनिवार को नई दिल्ली में राष्ट्रीय टेनिस फेनेस्टा ओपन में  उलटफेर करते हुए खिताब अपने नाम किया।

यही नहीं सिद्धार्थ विश्वकर्मा एशिया से सबसे तेज गति की सर्विस करने वाले इस खिलाड़ी ने इस खिताब को जीतने के बाद डेविस कप के लिए भारतीय टीम में जगह बनाने की दावेदारी को काफी मजबूत कर दिया है।

सिद्धार्थ विश्वकर्मा ने टेनिस के शीर्ष वरीयता अर्जुन खड़े को हराकर फेनेस्टा ओपन नेशनल चैंपियनशिप में एकल खिताब पर अपना कब्जा किया । एकल खिताब में सिद्धार्थ विश्वकर्मा ने एशिया में 358 रैंकिंग रखने वाले अर्जुन खड़े को हराया जबकि सिद्धार्थ विश्वकर्मा की रैंकिंग 1221 है। सिद्धार्थ विश्वकर्मा का परफॉर्मेंस देख सभी हैरान रह गए। जीत के साथ ही उनकी रैंकिंग में भी सुधार हुई है।

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सिद्धार्थ विश्वकर्मा की जीत के बाद सबसे ज्यादा खुशी उनके परिवार के लोगों को है क्योंकि वे एक निम्न परिवार से आते हैं और जिन परिस्थितियों में परिवार वालों ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया और उसे मुकाम तक पहुंचता देख परिवार में खुशी का माहौल है।

अपने सर्विस से सबसे चौंकाने वाले सिद्धार्थ विश्वकर्मा एशिया के सबसे तेज सर्विस करने वाले टेनिस खिलाड़ी है। इस जीत के बाद उनके पिता ने बताया कि सिद्धार्थ बचपन से ही टेनिस का शौकीन रहा और इसकी रुचि भी इस खेल में काफी थी,  इसको लेकर परिवार के सभी लोगों ने इसे खेलने में सहयोग प्रदान किया। 

सिद्धार्थ के परिवार में माता-पिता के अलावा उनकी एक बहन है जिनका विवाह हो चुका है। सिद्धार्थ के पिता ने बताया कि सिद्धार्थ को बचपन में स्वास्थ्य संबंधित तकलीफ थी जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें ज्यादा प्रेशराइज करने की सलाह दी थी और सिद्धार्थ को सबसे ज्यादा पसंद टेनिस था। इस वजह से किसी ने इस खेल को ना खेलने के लिए उससे नहीं कहा सभी ने उसका सहयोग किया, जिसके बाद धीरे-धीरे सिद्धार्थ भी टेनिस में परिपक्व हो गया।

सिद्धार्थ के पिता ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि सिद्धार्थ को टेनिस खिलाने के लिए उनको किसी और की सहायता नहीं मिलती थी वह अपना पेट काटकर और आमदनी का पैसा बचाकर किसी तरह सिद्धार्थ को इस खेल के लिए तैयार करते थे। पिता ने बताया कि उनको उस समय तकलीफ होती थी जब वह उसे लेकर बाहर जाते थे और कम पैसों में सरवाइव करते थे । सिद्धार्थ के पिता और सिद्धार्थ की काबिलियत से काफी पसंद है और वह सिद्धार्थ के खेल से अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं ।

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