राम मंदिर निर्माण के लिये अध्यादेश लाने के सवाल पर यूपी के राज्यपाल ने दिया ये जवाब

संक्षेप:

  • यूपी के राज्यपाल राम नाईक वाराणसी
  • संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हुए शामिल
  • राम मंदिर को लेकर दिया ये बयान

वाराणसी: यूपी के राज्यपाल राम नाईक शुक्रवार को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के 36वां दीक्षांत समारोह पहुंचे. इस समारोह में 24691 छात्रों को उपाधियां दी गईं, जिसमें शास्त्री आचार्य और दूसरे पाठ्यक्रमों में लगभग 35 मेधावी छात्र व छात्राओं को 58 पदक बांटे गए. कुल 14991 शास्त्री की डिग्री 7933 आचार्य और 260 शिक्षा शास्त्री की डिग्रियां भी दी गईं.

दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि कविगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय नागपुर की पूर्व कुलपति और यूजीसी की सदस्य प्रो. उमा चंद्रशेखर वैद्य थी. इस दौरान सभी छात्र भारतीय परिधान में धोती-कुर्ता व छात्राए साड़ी-दुपट्टा और टोपी पहनकर मौजूद रहें.

बतौर कुलसचिव इस साल दी जाने वाली कुल 24691 उपाधियों में शास्त्री से सर्वाधिक 14991, आचार्य 7933 और शिक्षाशास्त्री 260, पत्रकारिता एवं जनसंचार विज्ञान स्नातकोत्तर में 50, ग्रंथालय सूचना विज्ञान शास्त्री 33 और विद्यावारिधी में 13 छात्रों को उपाधियां दी गईं और जिन 35 मेधावियों में 58 स्वर्ण पदक दिए गए उसमें 5 छात्राएं भी शामिल थी.

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इस दौरान मीडिया से बात करते हुए यूपी के राज्यपाल राम नाईक ने बीजेपी के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिये प्राइवेट बिल लाने के सवाल पर कहा कि ये किसी भी सांसद का अधिकार है वो ला सकते हैं. हालांकि इसके समर्थन के सावल पर वे जवाब देने से बचते नजर आए.

इससे पहले अपने संबोधन में राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि इस समारोह में तीन मान्यवरों को याद करना चाहता हूं. महामना, जिन्होंने बीएचयू की स्थापना की और पूरे विश्व में काशी का डंका बजा. साथ ही शिवप्रसाद गुप्त जी और संपूर्णानंद जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. प्रदेश में शिक्षा के स्तर में हुए बदलाव पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस साल प्रदेशभर की 26 यूनिवर्सिटी में से 23 में हुए दीक्षांत समारोह के दौरान 51 प्रतिशत लड़कियों की भागीदारी पर संतुष्टि जताते हुए इसे बदलाव का बड़ा संकेत बताया. उन्होंने अपने भाषण में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि शॉर्टकट न अपनाएं, क्योंकि शॉर्टकट आपकी प्रतिभा को खत्म करता है. 

राज्यपाल ने कहा कि आप जीवन में 3 मां की चिंता करें. पहली मां आपके माता पिता और गुरु होने चाहिए. दूसरी मां आप की मातृभाषा. कोई भी भाषा पढ़ो बोलो, लेकिन आपकी जो मातृभाषा है उसको हमें कभी नहीं भूलना चाहिए और तीसरी मां मातृभूमि और मातृभूमि को यदि हम याद रखेंगे तो हमारा जीवन सार्थक होगा. राज्यपाल में छात्रों को सीख देते हुए कहा कि पहले किसी को टेलीफोन करने के लिए बहुत परेशान होना पड़ता था. आज हम आसानी से काम कर सकते हैं यह परिवर्तन बड़े रूप में हुआ है.

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