भूल कर भी वंदेभारत एक्सप्रेस में किसी को छोड़ने ट्रेन के अंदर मत जाइए, नहीं तो....!

संक्षेप:

  • ट्रेन के ऑटोमैटिक डोर बंद होने के बाद कई लोग जो यात्रियों को छोड़ने आते हैं, फंसे रह जाते हैं
  • लोग एसी को सेट करने के लिए अकसर ट्रेन ऑपरेटर को कॉल कर देते हैं, हालांकि यह सुविधा इमर्जेंसी के लिए है
  • सीट को लेकर लोगों की शिकायत है इसके अलावा यात्रियों को कहना है कि इंटरनेट की सुविधा मिलनी चाहिए

वाराणसी: देश की पहली हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस को लेकर यात्रियों की अजीबोगरीब शिकायत सामने आ रही है. सबसे ज्यादा शिकायत इस ट्रेन के ऑटोमेटिक डोर को लेकर आ रही है. ट्रेन के ऑटोमैटिक डोर जब एक बार बंद होते हैं तो फिर वो दूसरे स्टेशन पर ही जाकर खुलती है. ऐसे में अक्सर कई बार यात्रियों को छोड़ने आए उनके परिवार के लोग मित्र ट्रेन के अंदर ही फंस जाते हैं और  उन्हें अगले स्टेशन तक जाना पड़ता है. यह ट्रेन बराबर पत्थरबाजों का भी शिकार होती है. इसके अलावा कई और चुनौतियां भी हैं जिनसे ट्रेन के कर्मचारी परेशान हो जाते हैं.  लोग बार-बार एसी का तापमान बदलने के लिए भी शिकायत करते रहते हैं जो कि कर्मचारियों के लिए परेशानी की वजह बन गई है.

शताब्दी की तरह सीट पीछे नहीं झुकती

लोगों की शिकायत है कि शताब्दी की तरह सीट पूरी तरह झुकती क्यों नहीं है? एग्जिक्यूटिव क्लास में सीट आगे की तरफ की जा सकती हैं और इन्हें घुमाया जा सकता है. लेकिन उतना ही जिससे पीछे वाले यात्री को दिक्कत न हो। पायदान थोड़ा ही मूव करता है लेकिन कई बार लोग इसे जोर से झटका देकर तोड़ देते हैं. चेयर कार में सीट बिल्कुल नहीं झुक सकती इसलिए लोगों को आठ घंटे की यात्रा के लिए असुविधाजनक है.

ये भी पढ़े : सारे विश्व में शुद्धता के संस्कार, सकारात्मक सोच और धर्म के रास्ते पर चलने की आवश्यकता: भैय्याजी जोशी


ट्रेन स्टेशन से बहुत तेजी से छूटती है, छोड़ने के लिए आने वाले लोग फंस जाते हैं

चेयर कार में सफर कर रहे एक यात्री ने शिकायत की कि फूड टेबल बहुत छोटी है. दिल्ली से ट्रेन चलने से पहले ही अनाउंसमेंट होता है कि यात्रियों को छोड़ने आए लोग नीचे उतर जाएं, एक बार दरवाजा बंद होने के बाद नहीं खुलेगा. ट्रेन के एक कर्मचारी ने बताया, `लोगों की आदत हो गई है यात्रियों को छोड़ने आए लोग भी कोच के अंदर आ जाते हैं. लगभग रोज ही ऐसा होता है कि दरवाजा बंद होने के बाद कुछ लोग अंदर रह जाते हैं और अगले स्टेशन तक जाना पड़ता है. ट्रेन तेजी से छूटती है और फिर रुकती नहीं है. बता दें कि दिल्ली के बाद वंदेभारत एक्स्प्रेस सीधे कानपुर में रुकती है और इसके बाद वाराणसी से पहले प्रयागराज में रुकती है.

सभी कोचों में एक कम्यूनिकेशन यूनिट है

सभी कोचों में एक कम्युनिकेशन यूनिट है जिसका इस्तेमाल ट्रेन ऑपरेटर को इमर्जेंसी कॉल करने के लिए किया जा सकता है लेकिन लोग शिकायत करने के लिए इसका प्रयोग कर रहे हैं. ट्रेन ऑपरेटर ने बताया कि एसी का तापमान बदलवाने के लिए भी लोग ट्रेन ऑपरेटर को मेसेज करने लगते हैं. एक ट्रिप में ऐसी 30 से 40 शिकायतें आ जाती हैं. हालांकि PECU पर स्पष्ट लिखा है कि यह केवल आपातालीन परिस्थितियों के लिए है और इसके अलावा 1000 रुपये का जुर्माना देना होगा.

इस ट्रेन में हर कोच में एसी को कंट्रोल करने का सिस्टम है जबकि सभी ट्रेनों में ऐसा नहीं होता है. PECU सिस्टम कई बार उपयोगी साबित होता है. एक कर्मचारी ने बताया कि पिछले दिन एक यात्री का स्वास्थ्य खराब हो गया और तब उसने ट्रेन ऑपरेटर को बताया. इसके बाद ट्रेन ऑपरेटर ने अनाउंस किया कि ट्रेन में अगर कोई डॉक्टर है तो यात्री की मदद करे. दूसरे कोच में सफर कर रहे एक डॉक्टर ने यात्री की मदद की. श्रीनिवास ने बताया, , `यह ट्रेन यूरोपीय ट्रेनों से ज्यादा अच्छी है। आप एक किनारे से दूसरे किनारे तक देख सकते हैं. 

सभी कोच में ट्रेन की स्पीड स्क्रीन पर दिखती है

सभी कोच में ट्रेन की स्पीड स्क्रीन पर दिखती है. इसके अलावा सभी यात्रियों के लिए टच बेस्ड रीडिंग लाइट्स भी लगी हैं. टॉयलट की वॉशबेसिन टच फ्री हैं. हालांकि यात्रियों का कहना है कि इसमें और भी सुधार किए जा सकते हैं. कुछ यात्रियों का कहना है कि ट्रेन में वाई-फाई से इंटरनेट की सुविधा मिलनी चाहिए ना कि सिर्फ पहले से लोड कॉन्टेंट को ऐस्सेस करने की सुविधा.

If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

अन्य वाराणसीकी अन्य ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें और अन्य राज्यों या अपने शहरों की सभी ख़बरें हिन्दी में पढ़ने के लिए NYOOOZ Hindi को सब्सक्राइब करें।

Related Articles