बाल-बाल बचे ! वाराणसी में फिर हो सकता था निर्माणाधीन फ्लाईओवर गिरने से हादसा

संक्षेप:

  •  निर्माणाधीन फ्लाईओवर पर रखें दो बीम नंबर 76 व 77 अचानक से हिलने लगे
  • पुलिस ने तत्काल प्रभाव से सभी तरह के ट्रैफिक को अनिश्चितकालीन बंद कर दिया
  •  15 मई को हुए बड़े हादसे में 2 बीम गिरने की वजह से 18 लोगों की मौत हो गई थी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 15 मई को हुए निर्माणाधीन फ्लाईओवर के दिन गिरने के हादसे में हुई 18 लोगों की मौत की जांच अब तक पूरी नहीं हो पाई है कि इसके बाद मंगलवार को सेतु निगम की ओर से निर्माण में एक बड़ी लापरवाही फिर से सामने आई है इस बार इसी निर्माणाधीन फ्लाईओवर पर रखें दो बीम नंबर 76 व 77 अचानक से हिलने लगे जिसके बाद हड़कंप मच गया मजदूरों ने दी मिलने की सूचना तत्काल सेतु निगम के अधिकारियों के लिए और देर रात तक चली जांच पड़ताल के बाद पुलिस ने तत्काल प्रभाव से इस तरफ से गुजरने वाले सभी तरह के ट्रैफिक को अनिश्चितकालीन बंद कर दिया है।

वाराणसी में विगत 15 मई को हुए बड़े हादसे में 2 बीम गिरने की वजह से 18 लोगों की मौत हो गई थी , जबकि दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए थे इस हादसे में सीएम की तरफ से जांच अधिकारियों की नियुक्ति अलग हुई थी।  जबकि डिप्टी सीएम और जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्र की तरफ से अलग जांच टीम मामले की जांच कर रही है।  सीएम की तरफ से नियुक्त की गई जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपा गया। जिसमें सेतु निगम को दोषी मानते हुए सात अधिकारियों पर कार्यवाही नहीं हुई है।  वही अभी डीएम की तरफ से मजिस्ट्रेट जांच जांच के आदेश के बाद इसकी रिपोर्ट अब तक नहीं आई है। जबकि डिप्टी सीएम की तरफ से नियुक्त की गई जांच कमेटी भी मामले की रिपोर्ट जल्द शासन को सौंपने की बात कर रही है।  फिलहाल अब तक की जांच में पूरी तरह से सेतु निगम को ही दोषी माना जा रहा है। लेकिन इस बड़े हादसे के बाद मंगलवार को जिस तरह से जानवर तारा मार्ग पर निर्माणाधीन फ्लाईओवर के पिलर पर रखे बीम नंबर 76 व 77 केले की जानकारी आलाधिकारियों को हुई है। तब से प्रशासनिक अमला एक बार फिर से अलर्ट हो गया है। इस मामले में सेतु निगम के अधिकारी तो फिलहाल कैमरे पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। लेकिन  सेतु निगम के मुख्य परियोजना प्रबंधक ए के श्रीवास्तव ने 2 बीम के हिलने की बात मानी है। मौके पर कार्य करने वाले कर्मचारियों की माने तो दोपहर में एकाएक बीम हिलने लगा जिसकी सूचना अधिकारियों की दी जिसके बाद मौके पर पहुंचे अधिकारीयों ने बीम की जांच किया। 

वहीं एक बार फिर निर्माणाधीन पूल के बीम हिलने की खबर जैसे ही अधिकारियों को मिली वह आनन् - फानन में मौके पर पहुंचे।  हादसे के बाद निर्माणधीन पूल के पास से चार पहिया वाहन को जाने पर रोक लगा दिया गया था। लेकिन एक बार फिर हादसे की सुगबुगाहट मार्ग की पूरी तरह बंद कर दिया गया।  इस मामले को लेकर वाराणसी के एसपी ट्रैफिक ने बताया कि  जब तक सभी पिलर्स और बीम को आपस में जॉइंट नहीं कर दिया जाता है तब तक इस सड़क पर ट्रैफिक रोकना ही एकमात्र उपाय है इसके लिए  ट्रैफिक पुलिस ने कैंट से लहरतारा और लहरतारा से कैंट की तरफ आने वाले रास्ते को पूरी तरह से बंद कर दिया है।  वहीं एसपी ट्रैफिक का कहना है कि जब तक सभी टीम को जोड़ने का काम पूरा नहीं हो जाता तब तक यह रास्ता नहीं खोला जाएगा।

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15 मई को हुए पूल हादसे के बाद एक बार फिर पुल के बीम के हिलना कहीं न कहीं सेतु निगम के कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है, तो वहीं पुल हादसे को लेकर हुई कार्रवाई पर भी सरकार की मंशा साफ़ नहीं हो रही है, क्योंकि अब तक की कार्रवाई में सेतु निगम के कुल 7 लोग सस्पेंड तो हुए लेकिन गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किए जाने के बाद भी अभी तक इस पूरे मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।  वहीं बीएचयू के मर्चरी में पैसे लेकर हादसे में मृतकों के शव को उठाने वाले कर्मचारी को गिरफ्तार कर प्रशासन अपनी पीठ थपथपा रही है।  ऐसे में सवाल उठता है कि यही चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी द्वारा यदि पैसे लिए जाने के मामले में गिरफ्तारी हो सकती है तो गैर इरादतन ह्त्या के मामले में दर्ज एफआईआर में सेतु निगम के अधिकारियों की गिरफ्तारी क्यों नहीं हो रही है।  

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