वाराणसी निकाय चुनाव- करोड़पति बहुरानियों में मुकाबला

संक्षेप:

  • वाराणसी में 26 नवम्बर को मतदान होने है 
  • 22 साल बाद वाराणसी को महिला मिलेगी मेयर
  • 10 लाख 84 हजार 821 वोटर करेंगे फैसला

वाराणसी- निकाय चुनाव में सूबे की सबसे हाई प्रोफ़ाइल सीट वाराणसी में 26 नवम्बर को मतदान होगा। मतदान से पहले ही नतीजे क्या होंगे इसको लेकर राजनैतिक पंडितों ने अपनी गोटियां बैठानी शुरू कर दी है लेकिन सच तो यह है कि वाराणसी शहर के नगर निगम का मेयर सीट पर इस बार किसका कब्जा होगा। ये कहना अभी जल्दीबाजी है हालांकि वाराणसी में नगर निगम की स्थापना के बाद से निगम पर केंद्र से सूबे तक की कमान संभाल रहीं भारतीय जनता पार्टी ने अपना कब्जा जमा रखा है। लेकिन इस बार पीएम का संसदीय क्षेत्र होने के नाते वाराणसी में लड़ाई दिलचस्प है और देशभर की निगाहें वाराणसी टिकी है।

वर्ष-1995 में पिछड़ा वर्ग से बीजेपी के दिग्गज नेता ओमप्रकाश सिंह की पत्नी सरोज सिंह वाराणसी की पहली महिला मेयर बनीं थी। उसके बाद से लगातार मेयर की सीट पर बीजेपी ने अपना कब्जा कायम रखा। 22 साल बाद एक बार फिर वाराणसी को महिला मेयर मिलेगी। भारतीय जनता पार्टी ने इस बार वाराणसी से तीन बार सांसद रहे शंकर प्रसाद जायसवाल की पुत्रवधू गृहणी मृदुला जायसवाल पर अपना दांव लगाया है तो कांग्रेस ने भी राज्यसभा के सभपति अमर नाथ यादव की पुत्रवधू और पेशे से अखबार की मालकिन शालिनी यादव को मैदान में उतारा है।

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तो सपा ने भी शहर के नामी बिल्डर की पत्नी साधना गुप्ता पर दांव आजमा रही है। तो बसपा ने पेशे से वकील सुधा चौरसिया को मैदान में खड़ा कर अपना जोर लगाया है। लेकिन चुनाव में सीधी टक्कर भाजपा और कांग्रेस के बीच है।

इनकी प्रतिष्ठा है दांव पर

वाराणसी में निकाय चुनाव में महापौर पर इस बार लड़ाई दिलचस्प है। सीधी टक्कर दो राजनैतिक घरानों की करोड़पति बहुओं की है और इन्ही दोनों बहुओं पर राजनैतिक घरानो के ख़ास लोगो के साथ ही पीएम मोदी और सीएम योगी के साथ प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्रनाथ पांडेय और कई राज्य मंत्रियो की प्रतिष्ठा दांव पर है। भाजपा की प्रत्याशी मृदुला जायसवाल वाराणसी से तीन बार सांसद रहे चुके स्वर्गीय शंकर प्रसाद जायसवाल की बहू है तो कांग्रेस की शालिनी यादव राज्यसभा के पूर्व सभपति अमर नाथ यादव की पुत्रवधू है। इन्ही दोनों राजनैतिक घरानो की प्रतिष्ठा इस बार दांव पर है।

ये था पिछले चुनाव का रिजल्ट

निकाय चुनाव में पिछली बार यानी 2012 की तरह इस बार कांग्रेस से एक से अधिक प्रत्याशी मैदान में नहीं है। बता दें कि पिछली बार कांग्रेस ने जहां डॉ अशोक सिंह को अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया था वहीं उनके खिलाफ सत्तन पांडेय, रत्नाकर त्रिपाठी ने भी ताल ठोंक दिया था। नतीजा कांग्रेस का ही वोट तीन जगह बंटा। कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. अशोक कुमार सिंह महज 70,683 मत हासिल कर सके और बीजेपी उम्मीदवार राम गोपाल मोहले ने 1,32,800 वोट पाकर जीत हासिल की । लेकिन इस बार कांग्रेस में किसी तरह का कोई कलह नहीं है और कांग्रेस की उम्मीदवार शालिनी यादव और भाजपा की मृदुला जायसवाल के बीच सीधी टक्कर है।

ये है मुद्दा

देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी भले ही अपनी अलग अलग पहचानो से देश ही नहीं बल्कि दुनियाँ के ख़ास शहरो में गिनी जाती हो लेकिन आज भी काशी उस विकास से कोसो दूर है जो आज दिखनी चाहिए। शहर में आज भी सड़को का हाल गांव जैसा ही है ,सीवर की समस्या भी आम है और तमाम प्रयासों के बाद भी आज भी काशी के हेरिटेज गलियों और घाटों पर आपको गंदगी के अम्बार दिख ही जायेगे। यानी हर बार की तरह इस बार भी सड़क ,सीवर और गंदगी ही मुख्य चुनावी मुद्दा है हालांकि भाजपा इस बार भी विकास के मुद्दे को ढाल बनाकर मैदान में खड़ी है तो कांग्रेस भाजपा के 22 सालों के पोल को उजागर करने और आम लोगो को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने और उसे दुरुस्त करने के मुद्दे को लेकर मैदान में है।

मैदान में खड़े है इतने प्रत्याशी

सूबे की सबसे हाई प्रोफ़ाइल सीट के मेयर पद के लिए कुल छः प्रत्याशी मैदान में है तो शहर के 90 वार्डो से सियासी दलों और निर्दल प्रत्याशी के तौर पर कुल 608 प्रत्याशी इस बार चुनावी संग्राम में अपनी किस्मत आजमा रहे है। जिनके भाग्य का फैसला काशी की जनता 26 नवम्बर को करेगी और 1 दिसम्बर को इसका परिणाम आएगा।

10 लाख 84 हजार 821 वोटर करेंगे फैसला

वाराणसी निकाय चुनाव में कुल 614 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला 10 लाख 84 हजार 821 वोटर करेंगे। 26 नवम्वर को ये वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग कर जनप्रतिनिधि को चुनेंगे। इन वोटरों में पुरुषों की संख्या 5 लाख 91 हजार 434 है जबकि महिलाओं की संख्या 4 लाख 93 हजार 487 है।

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