6 फीट के कैनवास पर इस दिव्यांग आर्टिस्ट ने बनाए 648 महिलाओं के चेहरे

संक्षेप:

  • 648 महिलाओं की विभिन्न मुद्रा में चेहरे
  • दिव्यांग आर्टिस्ट पूनम राय ने कैनवास पर बनाए महिलाओं के चेहरे
  • वाराणसी की दिव्यांग आर्टिस्ट पूनम राय को वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ़ इंडिया ने पुरस्कार से नवाज़ा

`कदमों तले आसमान है, ये हौसलों की उड़ान है।` ये गाना काशी की एक बेटी पर बिल्कुल सटीक बैठता है। जिसने दहेज़ के लालचियों को अपनी कला से जवाब दिया है और अब उनकी नायाब कलाकृति को वर्ल्ड रिकॉर्ड इंडिया में जगह मिली है। बता दें वाराणसी की दिव्यांग आर्टिस्ट पूनम राय ने कैनवास पर 648 महिलाओं की विभिन्न मुद्रा में चेहरा उकेर कर उनका दर्द और उनकी खुशी दुनिया के सामने रखी है और अब काशी की बेटी इस रिकार्डेड कलाकृति को अपने सांसद और देश के प्रधानमंत्री को तोहफे के रूप में देना चाहती हैं।

दहेज़ लालचियों द्वारा छत से फेंकी गयी और उसके बाद 17 साल बेड़ पर गुज़ारने के बाद अपने भाई के सहयोग से अपने सपनों को पंख लगा चुकीं वाराणसी की दिव्यांग आर्टिस्ट पूनम राय को उनकी नायाब कलाकृति के लिए वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ़ इंडिया ने अपने पुरस्कार से नवाज़ा है। बता दें, उन्होंने 17 दिनों में 6 फुट 8 इंच चौड़े और 6 फुट लम्बे कैनवास पर 3 इंच के 648 चेहरे महिलाओं को समर्पित किए हैं। जिसमें महिलाओं के हर भाव के चेहरे हैं। पूनम राय के घर में रखे इस कैनवास पर बनी सभी कलाकृति अलग अलग महिला के भाव को दर्शाती हैं। 

पूनम राय ने बताया कि इतने बड़े कैनवास पर 3 इंच का महिलाओं का फेस बनाना ब्रश से मेरे लिए बहुत मुश्किल था क्योंकि काफी साल बाद मैंने ब्रश उठाया था। मैं जो पेंटिंग ज़्यादातर करती हूं उसमें हम हाथ से या रुई से चित्रकारी सीधे रंगों के द्वारा कर लेते हैं। जिसमें ब्रश को भी बहुत करीने से नहीं चलाना होता। इस कलाकृति में ब्रश से महिलाओं के 648 भाव बनाने थे। उन्हें पेन्सिल से ड्रॉ करना पड़ा फिर उसपर ब्रश से कलाकृति बनायीं और भाव उकेरा। 

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आपको बता दें, पूनम खड़ी नहीं हो सकती और ना ही आसानी से बैठ सकती हैं इसलिए पूनम ने इस 6 फुट चौड़े कैनवास को पाने बेड पर रखकर 17 दिनों में धीरे धीरे पूरा किया। जिसमें उनके भाई ने उनकी सहायता की। पूनम ने बताया कि अगर भाई मदद नहीं करते तो यह कार्य असंभव था। 

वहीं डॉ जगदीश पिल्लई ( वर्ल्ड रिकार्ड होल्डर ) ने बताया कि मैं पूनम राय के फ्री आर्ट क्लास में अक्सर जाया करता था।  मैंने एक दिन उनकी कला देखकर उनसे कहा कि आप एक मास्टरपीस अपना बनाइये। जिससे आप की पहचान बने।  जिस तरह से हर क्षेत्र के आर्टिस्ट का एक मास्टरपीस होता है। जिसपर उन्होंने यह कलाकृति बनाई और आज उनका नाम गिनीज़ बुक ऑफ़ इंडिया में दर्ज है। 

इस कलाकृति के बनाने के बाद पूनम के परिवार वाले काफी खुश हैं। भाई नरेश कुमार राय ने बताया कि पूनम ने यह पेंटिंग बनने के लिए रात भर जाग कर भी पेंटिंग को पूरा किया है।

वाराणसी की बेटी ने महिला सशक्तिकरण को अपनी पेंटिंग "फेज़ ऑफ़ फेस" जिसने वर्ल्ड रिकार्ड इंडिया में जगह बनाई है उसे प्रधानमंत्री के आगामी दौर पर उन्हें उपहार स्वरुप देना चाहती हैं। वो चाहती हैं कि महिलाओं का दर्द इस पेंटिंग के माध्यम से उनके पास पहुंचे। 

काशी की इस नारी की कलाकृति को हाल ही में दिल्ली की सबसे बड़ी आर्ट गैलरी में प्रथम पुरस्कार से नवाज़ा गया है।  पूनम राय की कहानी और समाज से लड़ने का जज़्बा साहस ही दुष्यंत कुमार की कुछ पंक्तियों की याद दिलाता हैं। इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है, नाव जर्जर ही सही लहरों से टकराती तो है।​

 

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