सिटी स्टारः लखनऊ के गौरव ने गिनीज बुक में दर्ज कराया अपना नाम

  • Sonu
  • Saturday | 10th March, 2018
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संक्षेप:

  • गौरव ने 1.20 लाख किमी. चलाया बाइक
  • बाइक चलाकर दर्ज कराया गिनीज बुक में नाम
  • NYOOOZ से गौरव सिद्धार्थ की खास बातचीत

लखनऊः लखनऊ के गौरव सिद्धार्थ ने एक वर्ष और आठ माह तक 1.15 लाख किमी. की बाइक यात्रा का कीर्तिमान बनाया है। गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकॉर्ड में गौरव सिद्धार्थ का नाम दर्ज हो गया है। नौ माह तक लगातार दस्तावेजों की जांच के बाद गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकार्ड ने 25 फरवरी 2018 को प्रमाण पत्र भी दे दिया है।

गौरव सिद्धार्थ के इस सराहनीय कार्य की लखनऊ ही नहीं बल्कि पूरा देश सराहना कर रहा है। आपको बता दें कि गौरव ने यह यात्रा स्वदेशी को प्रोमोट करने के लिए की। गौरव सिद्धार्थ के उपलब्धि पर NYOOOZ से खास बातचीत की। पेश है बातचीत के कुछ खास अंशः

NYOOOZ: आपको देश भ्रमण की प्रेरणा कहां से मिली ?

गौरव सिद्धार्थ: मैं लोगों से प्रेरणा कम लेता हूं, प्रेरणा लेने में मुझे ऐसा लगता है कि आप उसके नीचे ही काम करेंगे और उसके ऊपर कभी नहीं जाएंगे। क्योंकि आप अपने को प्रेरणा देने वाले से हमेशा कम ही समझते रहेंगे, लेकिन मेरा मानना है कि किसी से प्रेरणा मत लो और लें भी तो उसके आगे बढ़कर काम करने की कोशिश करें जो प्रेरणा देने वाले ने भी ना किया हो। प्रेरणा की बजाय जरूरी है इस बात पर ध्यान देना कि हम ऐसा क्या करें कि जो लोगों को प्रेरणा दे सकें। मुझे एक बात ध्यान आ रही है कि किसी महान कवि ने कहा था कि कुछ चलते हैं पदचिन्हों पर कुछ पदचिंह बनाते हैं।

NYOOOZ: आपकी इस भारत यात्रा का मुख्य उद्देश्य क्या था और क्या वह पूरा हुआ?

गौरव सिद्धार्थः मैं किसी उद्देश्य को साथ लेकर चलने की बजाय किसी मिशन को साथ लेकर चलना ज्यादा बेहतर समझता हूं, क्योंकि उद्देश्य में आपको रिटर्न की ज्यादा चिंता रहती है कि जो उद्देश्य मैं लेकर निकला हूं क्या वह पूरा हो पाएगा, लेकिन अगर आप मिशन के साथ निकलते हैं तो ऐसा लगता है कि मेरा कार्य मेरे साथ है और मैं उसको लोगों के सामने रखने जा रहा हूं, जैसे मेरा मिशन था `स्वदेशी` को देश के हर कोने में पहुंचाना जो कि मैंने पहुंचाया। अक्सर लोग किसी भी संदेश को पहुंचाने के लिए बड़े-बड़े पोस्टर्स और बैनरों का प्रयोग करते हैं, लेकिन मैंने किसी भी बैनर का प्रयोग नहीं किया केवल अपने साथ हर एक उस चीज को लेकर निकला जो मेरे देश की बनी हुई थी जैसे मेरी मोटरसाइकिल, मेरे कपड़े और सब कुछ। मेरे इस कार्य से लोगों में ज्यादा प्रभाव पहुंचा है ऐसा मुझे लगता है।

NYOOOZ: क्या इस कार्य में आपको अपने परिवार या किसी अन्य का सहयोग भी मिला?  

गौरव सिद्धार्थः सहयोग तो इतने बड़े कार्य में किसी का भी बहुत ज्यादा नहीं मिला लेकिन हां थोड़ा बहुत सहयोग मिला भी जैसे मेरे कुछ दोस्तों ने मुझे आर्थिक सहयोग दिया। इसी तरह मैं देश में जिन-जिन महत्वपूर्ण लोगों से मिला उनकी तरफ से भी कुछ हल्का-फुल्का आर्थिक सहयोग मिला लेकिन अगर यह कहा जाए कि मुझे कोई औपचारिक सहयोग मिला है तो ऐसा नहीं है। वही अगर परिवार के सहयोग की बात करें तो मेरे परिवार वालों ने मुझे इस यात्रा पर जाने की अनुमति दी यही सबसे बड़ा सहयोग है, क्योंकि जब मैं साल 2015 में जम्मू कश्मीर से कन्याकुमारी तक साइकिल यात्रा पर गया था तो मेरा परिवार मुझे भेजने के लिए तैयार नहीं था लेकिन इस बार परिवार का मुझे बढ़ावा देने में काफी सहयोग मिला।

NYOOOZ: कैसा लगा आपको भारत की यात्रा करके और आप क्या संदेश देना चाहेंगे लोगों को?

गौरव सिद्धार्थः सबसे महत्वपूर्ण दो चीजें हैं जिनको जानना चाहिए। पहली चीज है कि आप जब भी किसी भी मिशन पर जाएं तो यह जरूर देखें कि मैंने क्या सीखा केवल इस सोच में न रहे कि मुझे दूसरों को ही सिखाना है कुछ सीख कर खुद पर भी अमल करें। वहीं दूसरी चीज है कि जब भी आप यात्रा पर जाएं वह भी किसी मिशन को लेकर तो धैर्य को अपने साथ जरूर रखें और साथ ही बहुमुखी दृष्टिकोण रखना बहुत जरूरी है।

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