सिटी स्टार: मिलिए उत्तराखंड के इस `बजरंगी भाईजान` से

  • Hasnain
  • Tuesday | 24th October, 2017
  • local
संक्षेप:

  • दुबई में रहते हैं गिरीश पंत
  • अबतक कई लोगों की कर चुके हैं मदद
  • अपना पैसा खर्च कर लोगों को भेजते हैं घर

 

देहरादून: आपने फिल्म बजरंगी भाईजान तो देखी होगी, जिस तरह इस फिल्म में सलमान खान सरहद पार फंसी बच्ची को उसने घर तक सकुशल वापस पहुंचाने की जिम्मेदारी लेता है। वैसी ही एक कहानी है पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग में जन्मे एक शख्स की।

ये भी बजरंगी भाईजान की तरह ही दुबई, शारजाह, कतर जैसे देशों से लगभग 500 लोगों को सरहद पार करवा अपने घर भिजवा चुके हैं। इस शख्स का नाम है गिरीश पंत। सहारे की तलाश और अपने देश वापस लौटने की चाह में भटक रहे सैकड़ों लोगों के लिए गिरीश पंत भगवान से कम नहीं हैं। गिरीश इस वक्त दुबई की एक निजी कंपनी में काम करते हैं। पिछले 6 सालों से वह दुबई में ही अपने परिवार के साथ रह रहे हैं। घर में पत्नी और बच्चे हैं जबकि माता-पिता और भाई दिल्ली में रहते हैं।

गिरीश पंत के पिता समाजसेवी हैं। लिहाजा पिता के नक्शेकदम पर ही गिरीश पंत चल रहे हैं। दुबई में काम करने वाले गिरीश पंत अपने काम के साथ-साथ लोगों की सहायता भी करते हैं।

बात लगभग 6 साल पुरानी है, जब पहली बार दुबई में रहते हुए गिरीश पंत के पास भारत के ही रहने वाले एक व्यक्ति का कॉल आया। उस शख्स ने गिरीश को अपनी समस्या बताई कि उसका पासपोर्ट कंपनी ने जब्त कर लिया है और उसे भारत वापस जाने नहीं दे रहे हैं। इतना ही नहीं उसकी तनख्वाह और बाकी पैसे भी कंपनी उसे नहीं दे रही है। भारत सरकार से परिवार ने गुहार लगाई थी लेकिन उस वक्त कुछ नहीं हो पाया। लिहाजा पंत ने अपनी तरफ से तमाम प्रयास किये और लंबे प्रयास के बाद गिरीश उस व्यक्ति को भारत भेजने में कामयाब हो गए।

धीरे-धीरे गिरीश पंत समस्या में घिरे ऐसे ही कई लोगों की मदद करते चले गए। आज आलम ये है कि दुबई सहित दूसरे अरब देशों में अगर कोई व्यक्ति कंपनी के शोषण का शिकार होता है तो वह सबसे पहले गिरीश पंत से संपर्क करने की कोशिश करता है।

गिरीश पंत बताते हैं कि कई बार उनके सामने इस तरह के केस आते हैं कि लोगों को ना केवल मारा पीटा जाता है बल्कि उनके साथ जानवरों जैसा व्यवहार भी किया जाता है। उन्हें जैसे ही इस बात की खबर लगती है वह फौरन लोगों की मदद करने के लिए पहुंच जाते हैं। गिरीश पंत अबतक 500 से ज्यादा लोगों को भारत और दूसरे जगहों पर भेज चुके हैं।

हालांकि, इस काम को करने में उन्हें कई बार तकलीफ का सामना भी करना पड़ता है। हर देश के अलग कानून हैं, ऐसे में वहां के कानूनों का ख्याल भी रखना पड़ता है। गिरीश के पास कई बार दुबई से 200 या 250 किलोमीटर दूर से फोन आते हैं और फोन करने वाले कई बार यह कहते हैं कि उनको खाने तक के लिए नहीं दिया जा रहा है। फंसे हुए लोगों को वह दुबई के प्रशासन और भारत की एम्बेसी से संपर्क करके किसी तरह से वहां से निकालते हैं।

सैकड़ों लोगों को वो अपनी जेब से पैसे खर्च करके उनके घर भेजते हैं। गिरीश कहते हैं कि कई बार उन्हें ऐसा करने से नुकसान भी हुआ है। कई बार कई लोग हजारों रुपये के टिकर लेकर ये कहते हैं कि वो भारत पहुंचकर पैसा भिजवा देंगे लेकिन ना तो पैसा मिलता है और ना ही उनका कोई कॉल आता है। लेकिन गिरीश कहते हैं कि उनको लोगों की मदद करने से अच्छा लगता है। इस काम में उनकी पत्नी और पूरा परिवार उनका साथ देता है।

गिरीश ने दुबई से कई महिलाओं को भी रेस्क्यू किया है। कई बार भारत और दूसरी जगहों पर काम करने के लिए आने वाली महिलाएं भी कई तरह की मुसीबतों में फंस जाती हैं, उन्हें भी गिरीश कानून के सहारे सकुशल घर पहुंचवाते हैं।

ऐसा नहीं है कि गिरीश किसी बड़े घराने से हैं। गिरीश के पिता ने परिवार का लालन-पालन सब्जी बेचकर किया है और भारत से बाहर जाने का कभी सपने में भी नहीं सोचा था। लेकिन आज वो ना केवल दुबई में हैं बल्कि लोगों की सहायता भी कर रहे हैं। उनके इस समाजसेवा के काम के चलते कई बार उनकी नौकरी भी खतरे में पड़ गयी, जब वो आफिस के समय में भी लोगों के एक फ़ोन से ही चले जाया करते हैं।

गौर हो कि गिरीश ने उत्तराखंड में आई 2013 आपदा में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया था और पहाड़ के कई लोगों को तुरंत भेजने का भी इंतजाम करवाया था। वो खुद भी कुमाऊं और गढ़वाल में लोगों की सहायता के लिए पहुंचे थे। गिरीश की खासियत ये है कि वो जब लोगों को मुसीबत से निकालते हैं तो केवल इंसानियत देखते हैं किसी का धर्म-जाति नहीं। वो सालों से यूं ही अपने काम से लोगों का दिल जीत रहे हैं।

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