सिटी स्टार : गोल्फर अर्जुन भाटी का विश्व में डंका

  • Sonu
  • Saturday | 14th October, 2017
  • sports
संक्षेप:

  • कम उम्र में हैं हौंसले बुलंद
  • आठ वर्ष की उम्र में बने गोल्फ प्लेयर
  • अमेरिका से लेकर थाईलैंड तक लहराया परचम

रिपोर्ट- सुनील कुमार

नोएडा: हौसले अगर बुलंद हों तो आपके सामने लाख रुकावटें आ जायें लेकिन वो आपके हौसले के आगे टिक नहीं सकतीं। इंसान के अंदर अगर कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो वो उम्र का फांसला पार करके हर ऊंचाई को छू सकता है। चाँद पर पहुँचने का हमारा सपना इसी जुनून की वजह से पूरा हुआ था। आज दुनिया की कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे इंसान ने अपने जुनून और हौंसले से हासिल न किया हो। 

ऐसी ही एक कहानी है ग्रेटर नोएडा के अर्जुन भाटी की। जो एक मध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं। अर्जुन ने बहुत ही कम उम्र में जिंदगी की बुलंदियों को छुआ है। 12 साल की उम्र में अर्जुन ने वो कर दिखाया जिसे आप सोच भी नहीं सकते हैं। वैसे तो इतनी कम उम्र में बच्चे ज्यादातर समय स्कूल या खेलने-कूदने में लगाते हैं। इस उम्र में शायद ही कोई बच्चा बुलंदियों को छूने का सपना देखता हो। आप इनके बारे में जानेंगे तो हैरान रह जायेंगे। इतनी छोटी-सी उम्र में ये अमेरिका से लेकर थाईलैंड और मलेशिया तक में भारत का डंका बजा चुके हैं।

कम उम्र में हांसिल कीं बुलंदियाँ

आठ वर्ष की उम्र में ही अर्जुन ने गोल्फ खेलना शुरू कर दिया था। उस समय शायद ही अर्जुन के माता-पिता को पता था कि गोल्फ भी एक खेल होता है। अर्जुन ने स्कूली स्तर पर छोटे-छोटे टूर्नामेंट खेलकर गोल्फ में अपनी शुरूवात की थी। अर्जुन नोएडा के गुर्जर समुदाय से आते हैं। जहाँ शायद ही कोई गोल्फ को जानता हो। ऐसे में एक ऐसी पृष्ठ भूमि से निकलकर गोल्फ जैसे खेल में अपना लोहा मनवाना अर्जुन के लिए काफी मुश्किलों भरा था। 

अंतराष्ट्रीय रिकॉर्ड

अर्जुन ने अमेरिका में इस साल हुऐ और 2015 में दुनिया भर से आये 1680 बच्चों में गोल्फ प्रतियोगिता में 23वां स्थान हासिल किया था। अमरीकी जमीन पर अर्जुन ने अपना अभी तक का बेस्ट स्कोर कायम किया है। वहीं लॉस वेगस में अर्जुन ने छठा स्थान हासिल किया था।

थाईलैंड में साल 2015 के अप्रैल में हुई एशिया पेसिफ ऑशन गोल्फ प्रतियोगिता में अर्जुन ने तीसरा स्थान हासिल किया था। इस प्रतियोगिता में एशिया के 14 मुल्कों ने भाग लिया था। अक्टूबर 2016 में मलेशिया में हुई वर्ल्ड गोल्फ चैंपियनशिप में अर्जुन ने 12 साल उम्र की कैटेगरी में पहला स्थान हासिल किया था। इसके अलावा इस साल लखनऊ में हुई नॉर्थ इंडिया चैंपियनशिप का खिताब अर्जुन ने अपने नाम किया है। 

 कठिन दिनचर्या

अर्जुन बताते हैं, कि सुबह 5 बजे उठकर वो अपनी फिटनेस ट्रेनिंग करते हैं, उसके बाद 7 से 8 बजे तक अपनी गोल्फ की प्रैक्टिस करते हैं। फिर वो अपने स्कूल चले जाते हैं। स्कूल से आने के बाद फिर 3 बजे से शाम 6 बजे तक अर्जुन प्रैक्टिस करते हैं। उसके बाद फिर शाम 7 बजे से 7:30 बजे तक ये अपनी फिटनेस ट्रैनिंग करते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी की एक 12 साल का बच्चा समय का इतना पाबंद कैसे हो सकता है। इस कड़ी मेहनत के पीछे गोल्फ को लेकर वो जुनून ही है, जो इनसे इतनी कठिन दिनचर्या फॉलो करवाता है। 

 समाज से अपेक्षा

अर्जुन कहते हैं, कि गोल्फ को समाज में उचित स्थान नहीं मिलता है। हमारे समाज को गोल्फ को लेकर अपना नजरिया बदलना चाहिए है। जिससे नये-नये युवा खिलाड़ियों को आगे आने का प्रोत्साहन मिले।

 

अर्जुन की माँ अमृता भाटी कहती हैं, कि सरकार को युवा खिलाड़ियों को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहन देना चाहिए। गोल्फ जैसे महंगे खेल को खिलाने के लिए लोगों को काफी दिक्कतों का समान करना पड़ता है। ऐसे में सरकार को युवा गोल्फ खिलाड़ियों को ज्यादा से ज्यादा आर्थिक रूप से प्रोत्साहिन देना चाहिए। 

 NYOOOZ  के माध्यम से मेरा यही संदेश है कि पेरेंट्स को अपने बच्चों की प्रतिभा को पहचानना चाहिए। चाहे वो गोल्फ ही क्यूं न हो। पेरेंट्स को अपने बच्चों को हमेशा सपोर्ट करना चाहिए अगर माता-पिता अपने बच्चों की हौबी में सपोर्ट करें तो उनके बच्चे भविष्य में बहुत अच्छा कर सकते हैं।

 

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