Agra Police Commissionerate: पुलिस प्रणाली में सुधार, पाबंद करने को 60 की जगह तीन दिन में थाने भेजेंगे चालानी रिपोर्ट

सीआरपीसी की धाराओं का अंतर समझाया कार्यशाला में सीआरपीसी की धारा 133 और 144 के अंतर को भी समझाया गया।

दोनों का संबंध में सार्वजनिक व्यवस्था और शांति बनाए रखने से है, लेकिन उनके प्रयोजन व उपयोग में अंतर है।

धारा 133 जनसुविधा की सुरक्षा व सार्वजनिक नुकसान या असुविधा को दूर करने से संबंधित है।

यह तब लागू होती है जब कोई सार्वजनिक नुकसान, असुविधा,अवरोध, आवारा पशु, प्रदूषण, अनाधिकृत निर्माण आदि हो।

इसमें कार्यपालक मजिस्ट्रेट या कमिश्नरेट में एसीपी को कार्यवाही करने की शक्ति होती है। ये भी पढ़ेंः बिना कैश व्यापार क्या है पर्ची सिस्टम और कैसे डिपेंड है जूता बिजनेस, आगरा में रामनाथ के यहां मिलीं 30 करोड़ की पर्चियां वहीं,धारा 144 तात्कालिक खतरे या संभावित दंगों, असामाजिक गतिविधियों, आपातकालीन स्थिति और शांति भंग होने से संबंधित है।

इसमें पुलिस आयुक्त द्वारा आदेश दिए जाते हैं। ये भी पढ़ेंःIT Raid: आगरा में जूता कारोबारियों के घर मिला करोड़ों का खजाना, 81 घंटे... 100 अफसर और बरामद हुई अकूत दौलत ये रहे मौजूद कार्यशाला में अपर पुलिस आयुक्त केशव चौधरी, डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय, डीसीपी पूर्वी जोन अतुल शर्मा, डीसीपी पश्चिमी जोन सोनम कुमार, डीसीपी यातायात सैयद अली अब्बास, कुंवर आकाश सिंह सहायक पुलिस आयुक्त सदर मथुरा, प्रशिक्षु आइपीएस ट्विंकल आदि मौजूद रहे। ।

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