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गिर की शान ‘एशियाई शेरों’ की संख्या बढ़कर 891 हुई, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने जारी किए आंकड़े
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- Wednesday | 21st May, 2025

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एशियाई शेरों के दीर्घकालिक संरक्षण एवं संवर्धन के लिए की गई प्रोजेक्ट लायन की घोषणा के अंतर्गत हाल ही में गुजरात में आयोजित राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनबीडब्ल्यूएल) की बैठक में प्रोजेक्ट लायन 2047 के भविष्योन्मुखी आयोजन के संबंध में भी मार्गदर्शन दिया।मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल ने विश्वास व्यक्त किया कि प्रोजेक्ट लायन 2047 शेरों की देखभाल, संवर्धन और संरक्षण के लिए प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता को बेहतर तरीके से साकार करेगा। पिछले पांच सालों में कैसे-कैसे बढ़ी शेरों की संख्यामुख्यमंत्री ने यह साफ किया कि भौगोलिक परिस्थिति और जलवायु की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि वन्य प्राणी संरक्षण के प्रति सरकार के सतर्क और सतत दृष्टिकोण से ही शेरों की आबादी में लगातार वृद्धि दर्ज की गई है।उन्होंने इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए कहा कि 2001 में शेरों की संख्या 327, 2005 में 359, 2010 में 411, 2015 में 523 और 2020 में 674 थी, जो अब बढ़कर 891 हो गई है। मुख्यमंत्री ने शेरों की आबादी का अनुमान लगाने में उपयोग में ली गई गई मॉडर्न टेक्नोलॉजी के बारे में विस्तार से बताया।
व्यक्तिगत पहचान में मदद के उद्देश्य से तस्वीरें लेने के लिए डिजिटल कैमरे और कैमरा ट्रैप्स जैसे विभिन्न तकनीकी उपकरणों का उपयोग किया गया।
कुछ शेरों को रेडियो कॉलर भी लगाया गया था, जिससे उस शेर और उसके समूह की लोकेशन का पता लगाने में मदद मिली थी।इसके अलावा, शेर अवलोकन की रीयल टाइम डेटा एंट्री करने में ई-गुजफॉरेस्ट एप्लीकेशन सहायक सिद्ध हुआ, जिसमें जीपीएस लोकेशन और तस्वीरों का समावेश होने से सटीकता और दक्षता में वृद्धि हुई।
जीआईएस सॉफ्टवेयर का उपयोग सर्वेक्षण क्षेत्रों को रेखांकित करने और शेरों की गतिविधियों, वितरण पैटर्न और आवास उपयोग को ट्रैक करने के लिए विस्तृत नक्शा विकसित करने में किया गया।
आवश्यकता पड़ने पर तस्वीरों का उपयोग कर शेरों की व्यक्तिगत पहचान करने में सक्षम एआई-आधारित सॉफ्टवेयर का भी उपयोग किया गया है। प्रारंभ में वन एवं पर्यावरण विभाग के अपर सचिव श्री संजीव कुमार ने वन विभाग द्वारा शेरों की जनसंख्या का अनुमान लगाने के लिए त्रिस्तरीय काउंट पद्धति से किए गए डेटा एनालिसिस और रीयल लायन ट्रैकिंग की जानकारी दी।इस अवसर पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल प्रमुख डॉ. ए.पी. सिंह, प्रधान मुख्य वन संरक्षण डॉ. जयपाल सिंह और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। ।

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