अटल बिहारी वाजपेयी की जुबानी सुनिए पद्मावती पर कविता

संक्षेप:

  • बाजपेयी जी ने अपनी कविता में किया है रानी पद्मावती का उल्लेख
  • कविता का शीर्षक- गगन में लहरता है भगवा हमारा
  • पढ़िए `भगवा है पद्मिनी के जौहर की ज्वाला` कविता

अटल बिहारी वाजपेयी हिंदुत्व के प्रबल समर्थकों में से एक भारतीय नेता हैं और उन्होंने अपनी कविताओं में भी हिंदुत्व के अस्तित्व को केंद्र में रख कविताएं लिखी हैं। गगन में लहरता है भगवा हमारा शीर्षक से लिखी कविता में जयचंद के राजद्रोह को धिक्कारते हुए अटल बिहारी वाजपेयी लिखते हैं कि-
ये जयचंद के द्रोह का दुष्ट फल है
जो अब तक अंधेरा सवेरा न आया.

उन्होंने इस कविता में आगे रानी पद्मावती की कुर्बानी को याद करते हुए लिखा है कि-
भगवा है पद्मिनी के जौहर की ज्वाला
मिटाती अमावस लुटाती उजाला
नया एक इतिहास क्या रच न डाला
चिता एक जलने हजारों खड़ी थी
पुरुष तो मिटे नारियाँ सब हवन की.

पढ़िए अटल बिहारी वाजपेयी की पूरी कविता-
गगन में लहरता है भगवा हमारा
गगन मे लहरता है भगवा हमारा.

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घिरे घोर घन दासताँ के भयंकर
गवाँ बैठे सर्वस्व आपस में लडकर
बुझे दीप घर-घर हुआ शून्य अंबर
निराशा निशा ने जो डेरा जमाया.

ये जयचंद के द्रोह का दुष्ट फल है
जो अब तक अंधेरा सवेरा न आया
मगर घोर तम मे पराजय के गम में विजय की विभा ले
अंधेरे गगन में उषा के वसन दुष्मनो के नयन में
चमकता रहा पूज्य भगवा हमारा.

भगवा है पद्मिनी के जौहर की ज्वाला
मिटाती अमावस लुटाती उजाला
नया एक इतिहास क्या रच न डाला
चिता एक जलने हजारों खड़ी थी
पुरुष तो मिटे नारियाँ सब हवन की.

समिध बन ननल के पगों पर चढी थी
मगर जौहरों में घिरे कोहरो में
धुएँ के घनो में कि बलि के क्षणों में
धधकता रहा पूज्य भगवा हमारा.

मिटे देवाता मिट गए शुभ्र मंदिर
लुटी देवियाँ लुट गए सब नगर घर
स्वयं फूट की अग्नि में घर जला कर
पुरस्कार हाथों में लोंहे की कडियाँ
कपूतों की माता खडी आज भी है
भरें अपनी आंखो में आंसू की लडियाँ.

मगर दासताँ के भयानक भँवर में पराजय समर में
अखीरी क्षणों तक शुभाशा बंधाता कि इच्छा जगाता
कि सब कुछ लुटाकर ही सब कुछ दिलाने
बुलाता रहा प्राण भगवा हमारा.

कभी थे अकेले हुए आज इतने
नही तब डरे तो भला अब डरेंगे
विरोधों के सागर में चट्टान है हम
जो टकराएंगे मौत अपनी मरेंगे
लिया हाथ में ध्वज कभी न झुकेगा
कदम बढ़ रहा है कभी न रुकेगा
न सूरज के सम्मुख अंधेरा टिकेगा
निडर है सभी हम अमर है सभी हम
के सर पर हमारे वरदहस्त करता
गगन में लहरता है भगवा हमारा.

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