इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश: अंतरधार्मिक बालिग जोड़े को अपनी पसंद से जीवन साथी चुनने का अधिकार है
- हाईकोर्ट ने कहा अलग धर्मों के बालिग जोड़ों को अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का है पूरा अधिकार
- एक अंतरधार्मिक शादी के मामले में हाई कोर्ट ने किसी के हस्तक्षेप करने पर रोक लगा दी
- कोर्ट ने कहा कि उनके माता-पिता को भी दोनों के वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है
प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि दो अलग-अलग धर्मों के बालिग जोड़े को अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का पूरा अधिकार है । कोर्ट ने ऐसे एक मामले में अंतरधार्मिक जोड़े की शादीशुदा जिंदगी में किसी के हस्तक्षेप करने पर रोक लगा दी है और पुलिस को उनकी सुरक्षा करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि उनके माता-पिता को भी दोनों के वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि विपरीत धर्म होने के बावजूद बालिग को अपनी पसंद से जीवनसाथी चुनने का अधिकार है। उनके वैवाहिक संबंधों पर किसी को भी आपत्ति करने का अधिकार नहीं है।
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यह आदेश न्यायमूर्ति एम के गुप्ता तथा न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने शिफा हसन व अन्य की याचिका पर दिया है। गोरखपुर की याची शिफा हसन ने हिंदू लड़के से प्रेम विवाह कर लिया और जिलाधिकारी को मुस्लिम से हिंदू धर्म अपनाने की अनुमति मांगी है। जिलाधिकारी ने पुलिस थाने से रिपोर्ट मांगी है।
पुलिस रिपोर्ट में लड़के के पिता शादी से राजी नहीं है किंतु मां अपनाने को राजी है। लड़की के माता-पिता दोनों ही राजी नहीं हैं। जीवन को खतरे को देखते हुए युगल ने हाईकोर्ट की शरण ली है और सुरक्षा की गुहार लगाई है।
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