प्रयागराज में बमबाजी: स्कूली किशोरों के आधा दर्जन से अधिक बन चुके हैं गैंग, बमबाजी से लेकर फायरिंग तक कर रहे

संक्षेप:

  • स्कूली किशोरों के आधा दर्जन से ज्यादा सक्रिय।
  • बमबारी से लेकर गोलीबारी तक करते हैं ये किशोर।
  • भौकाल के लिए मरने-मारने तक को हैं तैयार।

प्रयागराज. जिन छात्रों को पढ़ाई से प्यार करना चाहिए था, वे बमबाजी से दिल लगा बैठे हैं। खूनी खेल से भरी वेबसीरीज और फिल्मों से प्रेरित किशोरों के शहर में आधा दर्जन से अधिक गैंग बन चुके हैं। स्थिति इस कदर भयावह है कि बीते एक महीने में 24 किशोरों को गिरफ्तार करके बाल सुधार गृह भेजा जा चुका है। यह तो तब है, जब पुलिस पहली बार इन्हें चेता रही है, सुधरने का एक मौका भी दे रही है।

शहर में बमबाजी की पहली घटना करीब चार महीने पहले सिविल लाइंस स्थित एक स्कूल के बाहर हुई थी। आरोपियों ने पहले 12वीं केएक छात्र को जमकर पीटा भी था। परिजनों के मुकदमा लिखाने पर पकड़ा गया मुख्य हमलावर जब 11वीं का छात्र निकला तो सबके कान खड़े हुए। छात्र ने पुलिस को बताया कि  स्कूली गैंगवार में वह और उसके साथी पहले भी बमबाजी कर चुके हैं। इसके बाद भी घटनाएं थम नहीं रहीं। कभी कॉलेजों व विश्वविद्यालयों के परिसर जिसके लिए बदनाम थे, आज उसके शिकार नामी स्कूल हो चुके हैं।

नाम के लिए ग्रुप, काम गैंग का

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दारागंज में चार जुलाई को बर्थडे मना रहे छात्रों पर बम-गोलियों से हमला करने वाले एक नामी स्कूल में 11वीं व 12वीं के छात्र थे। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, उनसे पूछताछ में पता चला कि यह वारदात ‘तांडव’ और ‘रामदल’ नाम के दो छात्र-गैंग के बीच चल रही रंजिश के कारण हुई। स्कूली छात्रों के इममोरटल, लॉरेंस, सोलिटेयर, माया, बिच्छू जैसे करीब आधा दर्जन गैंग हैं, जो बमबाजी से लेकर फायरिंग तक  कर रहे हैं। इनके सदस्य गैंग की जगह ग्रुप कहकर पुकारते हैं।

ज्यादातर रसूखदार परिवारों से

सूत्रों के मुताबिक, सिविल लाइंस से लेकर जार्ज टाउन, तेलियरगंज, नैनी स्थित स्कूलों के छात्रों ने ऐसे ग्रुप बनाए हैं। इनमें ज्यादातर रसूखदार परिवारों से हैं। किसी के पिता व्यापारी हैं तो कुछ के अफसर। धोबीघाट चौराहे के पास स्थित एक स्कूल के ऐसे ही ग्रुप का सरगना एक माफिया का बेटा बताया जाता है। वह स्कूल का पूर्व छात्र है और ग्रुप उसके ही इशारे पर काम करता है। पिछले दिनों इसी स्कूल के सामने हुई मारपीट व असलहा लहराने की घटना में भी यही गैंग शामिल था। 

‘भौकाल’ के लिए मरने-मारने को तैयार

स्कूली गैंगों का मकसद भौकाल जमाना है। इसके लिए वे मरने-मारने पर उतारू रहते हैं। भौकाल की महत्वाकांक्षा कोचिंग संस्थानों तक भी पसरी हुई है। पिछले दिनों सिविल लाइंस में एक जाने-माने डेंटल सर्जन के बेटे की कोचिंग से लौटते वक्त ऐसे ही गैंग ने पिटाई की थी। ये गैंग शहर में कहीं भी मारपीट, फायरिंग व बमबाजी को तैयार रहते हैं।  

क्या कहते हैं पुलिस अफसर

आईजी रेंज डॉ. राकेश सिंह का कहना है कि बीते एक महीने में 24 नाबालिग को बाल सुधार गृह भेजा गया है। स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों से भी बातचीत की गई है। पहली बार घटना में संलिप्तता पर समझाकर या काउंसलिंग के जरिए छात्रों को सुधरने का एक मौका दिया जाता है। नहीं मानने पर विधिक कार्रवाई की जाती है।

किशोरों के हिंसक घटनाओं में लिप्त होने की मु्ख्य वजह माता-पिता और स्कूल स्तर पर उचित निगरानी नहीं होना है। आज सबके हाथ इंटरनेट है। वहां पॉजिटिव के साथ-साथ वॉयलेंट गेम्स, सीरियल, वेब सीरीज व मूवीज आदि भी हैं। इन्हें देखकर किशोर बिगड़ रहे हैं।  - प्रो. आशीष सक्सेना, विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र, इलाहाबाद विश्वविद्यालय

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