चमोली में ग्लेशियर फटने का प्रयागराज में हो सकता है बड़ा असर, प्रशासन सतर्क

संक्षेप:

उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने से धौली नदी में आई बाढ़ का असर प्रयागराज में भी हो सकता है। इस संभावित खतरे को देखते हुए जिला प्रशासन भी अलर्ट मोड पर आ गया। प्रयागराज में चल रहे माघ मेला को देखते हुए पूरे मेला क्षेत्र के लिए भी अलर्ट जारी कर दिया गया है।

प्रयागराज: उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने से धौली नदी में आई बाढ़ का असर प्रयागराज में भी हो सकता है। इस संभावित खतरे को देखते हुए जिला प्रशासन भी अलर्ट मोड पर आ गया। प्रयागराज में चल रहे माघ मेला को देखते हुए पूरे मेला क्षेत्र के लिए भी अलर्ट जारी कर दिया गया है।

जिला प्रशासन ने बाढ़ प्रखंड से भी 24 घंटे निगरानी के लिए कहा है। इस बीच अफसर हरिद्वार में आने वाले पानी पर भी नजर रखे हुए हैं। अफसरों का कहना है कि अगर हरिद्वार तक पानी अगर स्थिर रहा तो प्रयागराज में इसका आंशिक असर ही आएगा।

वहीं दूसरी ओर 11 फरवरी को माघ मेले के सबसे बड़े स्नान पर्व मौनी अमावस्या को देखते हुए मेला प्रशासन ने गंगा तट पर बसे कल्पवासियों को दूर बसाने की तैयारी शुरू की है। हालांकि अफसरों ने यह भी कहा है कि हरिद्वार में जलस्तर की स्थिति स्पष्ट होने के बाद आंकलन किया जा सकेगा कि प्रयागराज में ग्लेशियर टूटने का कितना असर आएगा। वैसे भी हरिद्वार से प्रयागराज तक पानी पहुंचने में कम से कम सप्ताह भर का समय लग लगेगा। 

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ऐसे में 11 फरवरी को मौनी अमावस्या तक संकट नहीं होगा। अगर स्थिति कुछ खराब हुई तो बसंत पंचमी पर इसका असर जरूर पड़ सकता है। वहीं उत्तराखंड की घटना ने हर किसी को परेशान कर दिया। बहुत से लोगों ने इस घटना को केदारनाथ आपदा से भी जोड़ दिया।

वहीं दूसरी ओर एडीएम वित्त एवं राजस्व और प्राकृतिक आपदा एमपी सिंह ने बताया कि उत्तराखंड में हुई इस प्राकृतिक आपदा से  प्रयागराज में स्थिति बहुत खराब होने की उम्मीद नहीं है। हम लगातार हरिद्वार प्रशासन से संपर्क में है। प्रयास है कि जो पानी आ रहा है उसे बीच में बने तमाम बैराज में रोका जाए। वैसे हरिद्वार तक दो दिन बाद पानी पहुंचेगा। जबकि प्रयागराज पानी आने में कम से कम एक हफ्ते का समय है।

प्रयागराज में इस समय माघ मेला चल रहा है। यहां श्रद्धालुओं की आवाजाही के लिए पांटून पुल भी बनाए गए हैं। ऐसे में अगर यहां जलस्तर बढ़ा तो पांटून पुलों को उससे नुकसान पहुंचेगा। ऐसे में प्रशासन की ओर से मेला क्षेत्र में अलर्ट जारी कर दिया गया है। जरूरत पड़ने पर राहत एवं बचाव कार्य के लिए यहां एनडीआरएफ को भी उतारा जा सकता है।

उत्तराखंड में हुई घटना के बाद प्रयागराज के माघ मेले में गंगा किनारे रह रहे कल्पवासियों से जिला प्रशासन ने संपर्क करना शुरू कर दिया है। मेला क्षेत्र में कटान रुकने के बाद घाट किनारे तमाम स्थान पर जमीन निकल आई थी। यहां पर इस वक्त कल्पवासियों को बसाया गया है। हालांकि अभी संकट नहीं दिख रहा है, लेकिन हरिद्वार की स्थिति का आकलन कर जरूरत पड़ने पर यहां से कल्पवासियों को हटाया जाएगा।

जल पुलिस एवं सिंचाई विभाग को जिला प्रशासन ने निगरानी का निर्देश दे दिया है। जल पुलिस से कहा गया है कि वह लगातार गंगा जल की मॉनिटरिंग करे।  सिंचाई विभाग से भी हर दो-दो घंटे की रिपोर्ट अपडेट करने को कहा गया है। जिससे किसी भी स्थिति में प्रयागराज में कल्पवास को सुरक्षित रखा जा सके। फिलहाल फाफामऊ की बात करें तो वहां गंगा का जलस्तर 76 मीटर पर स्थित है।

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