कार्तिक पूर्णिमा: संगम में श्रद्धालुओं की डुबकी, जानिए इसके महत्व

संक्षेप:

  • कार्तिक पूर्णिमा का त्योहार आज
  • श्रद्धालुओं ने लगाया संगम में डुबकी
  • जानिए गंगा स्नान का क्या है महत्व

 

इलाहाबाद: संगम नगरी इलाहाबाद में कार्तिक पूर्णिमा के स्नान पर्व के मौके पर गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी पर श्रद्धालुओं का सैलाब उड़ पड़ा है। सुबह से श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं।

इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु संगम तट पर पूजा अर्चना के साथ ही दानपुण्य भी कर रहे हैं। साथ ही संगम तट पर ही श्रद्धालु सत्यनारायण की कथा का श्रवण भी कर रहे हैं। कार्तिक पूर्णिमा के स्नान पर्व का विशेष महत्व भी है।

ऐसी मान्यता है कि कार्तिक मास के आखिरी स्नान पर्व कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान मात्र से ही सभी मनोकामनायें पूर्ण होती हैं और पापों से भी मुक्ति मिलती है। इस मौके पर गंगा और यमुना नदियों में श्रद्धालु दीपदान भी करते हैं और कार्तिक पूर्णिमा को ही देव दीपावली का भी पर्व मनाया जाता है।

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श्रद्धालु संगम स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की अराधना करते हैं। इस कार्तिक पूर्णिमा में गंगा और यमुना दोनों का स्नान से पुण्य लाभ मिलता है। संगमनगरी में संगम के घाट पर भारी संख्या श्रद्धालु पंहुच रहे हैं। इसके साथ ही दारागंज में यमुना के तट पर तथा मनकामेश्वर मंदिर के पास यमुना नदी में स्नान करने आ रहे हैं। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लोगों ने स्नान कर दानण्पुण्य किया। संगम नगरी में कार्तिक पूर्णिमा के स्नान पर्व के मौके पर गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी पर श्रद्धालुओं का सैलाब उड़ पड़ा है।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुर राक्षस का वध किया था। त्रिपुर ने एक लाख वर्ष तक तीर्थराज प्रयाग में भारी तपस्या की।अप्सराओं के जाल में भी त्रिपुर नहीं फंसे। ब्रह्मा जी ने वरदान मांगने को कहा। उसने मनुष्य और देवता के हाथों न मारे जाने का वरदान प्राप्त किया। शिवजी ने ब्रह्माजी और विष्णुजी की सहायता से त्रिपुर का वध किया। अर्थ काम और मोक्ष में इसे मोक्ष प्राप्ति कराने वाला माना गया है। अगर आप इस दिन उपवास करते हैं तो आपको हजार अश्वमेध और सौ राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।

कार्तिक पूर्णिमा पर अगर कृत्तिका नक्षत्र हो तो महाकार्तिकी होती है। जो विशिष्ट पुण्यफल देती है। भरणी और रोहिणी नक्षत्र हो तो इसका फल ओर भी बढ़ जाता है।इस दिन चंद्रोदय के समय मंगल ग्रह के स्वामी भगवान कार्तिकेय की माताओंण् शिवाए संभूतिए प्रीतिए संततिए अनसूया और क्षमा आदि छह कृत्तिकाओं का पूजन करना चाहिए। रात्रि में व्रत करके अगर वृष बैल का दान किया जाए तो शिव पद की प्राप्ति होती है। इस दिन गौए अश्व और घी आदि के दान से संपत्ति बढ़ती है।आरती और पुष्पांजलि कर भगवान विष्णु का नाम स्मरण या मंत्र जाप करना चाहिए।

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