अजब-गजब:डॉगी जूली ने एक साथ 5 बच्चों को दिया जन्म; पशु प्रेमी ने 2 हजार लोगों को कराया भोज, घोड़ी नचाया

संक्षेप:

चित्रकूट: किसी शख्स के यहां यदि बच्चा जन्म ले तो खुशियों का इजहार करना संभावित है, लेकिन जब कोई बेजुबान बच्चे को जन्म दे और बधाई गीत गाये जाएं, लोग डीजे की धुन पर थिरके और घोड़े के डांस का आयोजन हो तो यह घटना किसी खबर से कम नहीं है. ऐसे ही एक मामला उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के चित्रकूट (Chitrakoot) में देखने को मिला, यहां परिक्रमा मार्ग स्थित खोहि गांव में पालतू डॉगी जूली (Doggy Julie) ने 5 बच्चों को जन्म दिया तो मालिक की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, उसने भोज का आयोजन कराया जिसमें 2000 लोग शामिल हुए.

चित्रकूट: किसी शख्स के यहां यदि बच्चा जन्म ले तो खुशियों का इजहार करना संभावित है, लेकिन जब कोई बेजुबान बच्चे को जन्म दे और बधाई गीत गाये जाएं, लोग डीजे की धुन पर थिरके और घोड़े के डांस का आयोजन हो तो यह घटना किसी खबर से कम नहीं है. ऐसे ही एक मामला उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के चित्रकूट (Chitrakoot) में देखने को मिला, यहां परिक्रमा मार्ग स्थित खोहि गांव में पालतू डॉगी जूली (Doggy Julie) ने 5 बच्चों को जन्म दिया तो मालिक की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, उसने भोज का आयोजन कराया जिसमें 2000 लोग शामिल हुए.

गांव के रहने वाले लोगों ने बताया कि हमारे गांव में कुत्ते के प्रति काफी स्नेह है और सम्मान है. किदवंती है कि एक बार हमारे गांव में अकाल पड़ा था तो कुत्ते ने ही श्रीकामत नाथ से प्रार्थना की जिससे अन्न की संकट समाप्त हुई. इसी को दृष्टिगत रखकर धर्म नगरी चित्रकूट के ग्राम खोही में एक ऐसा आयोजन हुआ है. कार्यक्रम के पूरा इंतेजाम उमेश पटेल और आर के कुरील ने किया. आयोजन के लिए बकायदा निमंत्रण कार्ड भी छपाए गए थे, ताकि डॉगी जूली के मालिक मुस्तफा खां उसके बच्चों की बरही मन सकें। कार्यक्रम के दौरान पड़ोसी गांव संग्रामपुर से दौरी पीड़ा लेकर लोग खोही गांव आए. साथ में बैंड बाजा और घोड़ों को भी लाए. खोही गांव के लोगों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम और स्वल्पाहार और भोजन की व्यवस्था की. सभी ने मिलकर कार्यक्रम का लुफ्त उठाया.

कोरोना काल के दौरान जब सरकार ने लॉकडाउन लगाया तो यहां श्री कामता नाथ परिक्रमा क्षेत्र में बेजुबानों के लिए आसपास के लोगों ने खाने का इंतजाम किया था. इस काम में स्वयंसेवी संस्थाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था. बंदरो, गायों, कुत्तो आदि की भूख मिटाने के लिए निरंतर खाने की व्यवस्था की जा रही थी. अब एक बार फिर यहां पर बेजुबानो के प्रति इंसानी प्रेम सामने आया है.

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