महाधिवक्ता कार्यालय में लगी आग, धन स्वीकृत होने के बाद भी नहीं बदले गए बिजली के तार-केबल व एमसीबी

संक्षेप:

  • आग लगने से एक लाख से अधिक मुकदमों की फाइलें हुई खाक।
  • पीडब्ल्यूडी के विद्युत यांत्रिक खंड सवालों के घेरे में घिरा।
  • एसई ने पूछा, धन स्वीकृत होने पर भी क्यों नहीं हुआ काम।

प्रयागराज. महाधिवक्ता कार्यालय की आग में एक लाख से अधिक मुकदमों की फाइलों के स्वाहा होने और भवन को भारी नुकसान पहुंचने के मामले में पीडब्ल्यूडी का विद्युत यांत्रिक खंड घिर गया है। लखनऊ के अधीक्षण अभियंता (विद्युत यांत्रिक खंड) ने एक्सईएन को पत्र लिखकर महाधिवक्ता कार्यालय के अनुरक्षण के लिए धन स्वीकृत होने के बाद भी काम शुरू न कराए जाने की वजह पूछी है। साथ ही टेंडर न कराने के लिए जिम्मेदार कार्मिक से स्पष्टीकरण तलब करने के लिए कहा है।

अधिकारियों पर काम न कराने का लगा आरोप

महाधिवक्ता कार्यालय की आग की लपटों की आंच बड़े अफसरों तक भी पहुंच सकती है। धन स्वीकृत होने के बाद बिजली के तार-केबिल और एमसीबी को न बदला जाना विद्युत यांत्रिक खंड के अफसरों के लिए बवाले जान बनता जा रहा है। अब इस मामले में पीडब्ल्यूडी के विद्युत यांत्रिक खंड के अधीक्षण अभियंता आरएम श्रीवास्तव ने एक्सईएन दिनेश कुमार को पत्र लिखकर धन होने के बावजूद मरम्मत का काम न कराए जाने का कारण पूछा है।

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एसई ने इस मामले में मांगा स्पष्टीकरण

एसई ने अपने पत्र में एक्सईएन से कहा है कि 2.40 करोड़ 65 लाख रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति प्राप्त हो चुकी थी। फिर भी आप द्वारा महाधिवक्ता भवन जैसे महत्वपूर्ण भवन में अनुरक्षण के लिए निविदा प्रक्रिया को पूर्ण कराकर कार्य समय रहते आरंभ नहीं कराया गया। एसई ने कहा है कि इसके लिए जिम्मेदार कार्मिक का स्पष्टीकरण प्राप्त कर उपलब्ध कराएं।

साथ ही मौजूदा समय विद्युत संबंधी अनुरक्षण कार्यों के लिए निर्देश दिए जाने के बाद भी आगणन गठित कर निविदा प्रक्रिया प्रारंभ न कराए जाने पर भी उन्होंने नाराजगी जताई है।एसई ने कहा है कि महाधिवक्ता कार्यालय में तत्काल विद्युत अनुरक्षण का कार्य शुरू कराया जाए। इसमें देरी स्वीकार नहीं की जा सकती।

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