Maha Kumbha 2025: महाकुंभ में शाही की जगह हो राजसी स्नान का प्रयोग, बैठक बुलाकर पास किया जाएगा प्रस्ताव

उर्दू शब्द को बदलने की जरूरत जीतेंद्रानंद अखिल भारतीय संत समिति व गंगा महासभा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती कहते हैं, अखाड़ों के महात्माओं ने मुगलों से लड़कर सनातन धर्म व उसके धर्मावलंबियों की रक्षा की।

उस दौर में उर्दू राजभाषा थी।

अंग्रेजों के समय तक उर्दू का प्रयोग होता था।

अखाड़ों की परंपरा में उर्दू शब्द का प्रयोग होने लगा।

अखाड़ों के महात्मा सैनिक होते हैं।

वे सर्वप्रथम आराध्य को स्नान कराते हैं, उसके बाद खुद करते हैं।

ऐसे में उसे राजसी, देवत्व स्नान नाम दिया जाना चाहिए। इसे भी पढ़ें-सोनभद्र में फाइनेंस कंपनी ने जब्त की स्कूटी, आहत हुई छात्रा ने फांसी लगाकर दी जान खत्म होता है संतत्व व देवत्व का भाव महेशाश्रम अखिल भारतीय दंडी संन्यासी परिषद के संरक्षक जगदगुरु स्वामी महेशाश्रम ने कहा कि मप्र के मुख्यमंत्री ने महाकाल की सवारी का नाम बदलकर उत्कृष्ट कार्य किया है।

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