एक तरफ PM मोदी सफाईकर्मियों के पैर धो रहे हैं, दूसरी तरफ सफाईकर्मी वेतन के लिए आंदोलन कर रहे हैं

संक्षेप:

  • क्या पीएम मोदी के सफाई कर्मचारियों के पैर धोने से सफाई कर्मियों की जिंदगी बदल जाएगी?
  • देश भर में सफाईकर्मी वेतन बढ़ोत्तरी को लेकर कर रहे हैं आंदोलन
  • कुंभ में भी सफाई कर्मचारी वेतन को लेकर कर रहे थे आंदोलन
  • रमन मैग्सेसे अवॉर्ड विजेता बेजवाड़ा विल्सन ने पीएम मोदी के सफाईकर्मियों के पैर धोने को कहा असंवैधानिक
  • विल्सन ने कहा पीएम मोदी ने पैर धोकर सफाई कर्मचारियों को तुच्छ बताया

इलाहाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुंभ में पांच सफाई कर्मचारियों (Sanitary Workers)के पांव धोकर भले एक ऐतिहासिक भले उठाया हो, लेकिन क्या इससे सफाई कर्मचारियों (Sanitary Workers) की जिंदगी बदल जाएगी? कुंभ मेले की ही बात करें तो यहां भी सफाई कर्मचारी अपने मेहनताने में बढ़ोतरी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे। इलाहाबाद के कवि अंशु मालवीय इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे और यूपी की पुलिस अचानक से अंशु मालवीय को किसी कार्यक्रम से उठाकर थाने लेकर चले गई.

अंशु मालवीय का कसूर क्या था? वे कुंभ में सफाईकर्मियों के मेहनताने में बढ़ोतरी की मांग के आंदोलन में शामिल थे. कुंभ(Kumbh) में सफाई कर्मचारियों को 295 रुपये रोज़ाना मिलते थे जिसे इन लोगों के दबाव में बढ़ाकर 310 रुपये किया गया. इनकी मांग 600 रुपये रोज़ाना थी- यानी 18000 रुपये महीने जो संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों का न्यूतनतम निर्धारित वेतन है. जिस दिन इस मांग के साथ अंशु और उनके साथी मेला अधिकारियों से मिले थे, उस दिन भी इनके साथ अभद्रता हुई थी.

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देश के कई हिस्सों में वेतन सहित कई मांगों को लेकर सफाईकर्मी कर रहे हैं आंदोलन

अभी भी देश के कई हिस्सों में सफाई कर्मचारी अपने विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं. हरियाणा के फतेहाबाद और सिरसा जिले में सफाई कर्मचारियों ने बीजेपी कार्यालय पर प्रदर्शन किया और नारेबाजी कर रोष जताया। सफाई कर्मचारी लंबे समय सरकार द्वारा की गई घोषणा को अभी तक लागू नहीं किए जाने के खिलाफ गुस्सा जाहिर कर रहे थे. सरकार ने वेतन बढ़ोतरी, साल में 4 वर्दी व सभी सरकारी अवकाश देने की घोषणा की थी लेकिन उस घोषणा के अनुसार अधिसूचना जारी नहीं की गई. आज शहरों में काम करने वाले सफाई कर्मियों को 16900 रुपये दिए जा रहे हैं और ग्रामीण सफाई कर्मचारियों को मात्र 11000 रुपये दिए जा रहे है. ग्रामीण कर्मचारियों को रेगुलर कर्मचारी का दर्जा, स्थायी काम का स्थायी रोजगार, समान काम समान वेतन का फॉर्मूला, रेगुलर न होने तक 18 हजार रुपये न्यूनतम वेतन दिया जाए तथा सफाई सुरक्षा के दायरे में शामिल किया जाए. विभाग की तरफ से हाजरी कार्ड, पहचान पत्र जारी किया जाए.

पीएम मोदी का सफाईकर्मियों का पैर धोना असंवैधानिक- विल्सन

पीएम मोदी के इस कदम को लेकर कई तरह की चर्चा और आलोचना हो रही है. रमन मैग्सेसे अवॉर्ड विजेता बेजवाड़ा विल्सन ने भी इस मामले में अपने विचार रखे हैं. सफाई कर्मचारी आंदोलन के संस्थापक विल्सन के अनुसार कुंभ में सफाईकर्मियों के पैर धोना असंवैधानिक है. यह उन्हें तुच्छ दिखाकर खुद को महिमामंडित करने जैसा है. बता दें कि विल्सन कई दशकों से मैला उठाने के काम में लगे लोगों के बीच काम कर रहे हैं और इसके लिए उन्हें देश-विदेश में सम्मानित किया जा चुका है. विल्सन के अनुसार प्रधानमंत्री को सफाई कर्मियों और दलितों के पैर नहीं धोने चाहिए बल्कि उनसे हाथ मिलाना चाहिए.

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