अफसर ने 10 वर्षीय बच्चे को दी अपनी कुर्सी, IAS बन सचिन ने सुनाया फरमान… छह महीने बाद लौटी चेहरे पर मुस्कान

सचिन की छोटी बहन नंदिनी (आठ वर्ष) व भाई सनी (सात वर्ष) घर पर हैं।

सचिन की मां रामसखी भी आईं थीं।

कैंसर रोगियों की सहयोगी संस्था के डा.अखिलेश द्विवेदी व समाजसेविका निश्रा मिश्रा मौजूद रहीं। हम नहीं हार रहे हिम्मत...पर बजीं तालियां, भर आईं आंखें मंडलायुक्त की कुर्सी पर जब सचिन बैठे तो वहां कमिश्नरी के सभी अधिकारी और कर्मचारी आ गए थे।

मंडलायुक्त से बातचीत के दौरा जब सचिन बोले, हम हिम्मत नहीं हा रहे।

यह सुनते ही सभी लोग तालियां बजाने लगें।इतने हौसले की बात सुनकर अधिकारियों और कर्मचारियों का गला रूंध गया।

सभी की आंखें भर आईं। गरीबों-अनाथों की सेवा ही था सपना आइएएस अधिकारी की कुर्सी पर बैठे सचिन से जब पूछा गया कि वह मंडलायुक्त की कुर्सी पर बैठे हैं, आपका क्या कहना है।

इस पर सचिन बोले, वह पढ़ाई में बहुत अच्छे थे।

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