किसी को भी न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग की छूट नहीं दी जा सकती: इलाहाबाद हाईकोर्ट

कोर्ट ने सीबीआइ की प्रारंभिक रिपोर्ट सील कर महानिबंधक के समक्ष रख दी है और एसआइटी को आठ मामलों की विवेचना करने का आदेश दिया है।

आदेश की प्रति आइजी (एसआइटी) लखनऊ को भेजने के लिए भी कहा है। क्या है मामला वर्ष 2022 में मूल याची निक्की देवी ने लोअर कोर्ट में धीमी सुनवाई को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दी और शीघ्र निस्तारण की मांग की।

पीड़ित अधिवक्ता भूपेंद्र पांडेय ने कोर्ट को बताया कि यह एक प्रकार का षडयंत्र है और प्रयागराज के कर्नलगंज, कैंट, दारागंज, सरायइनायत, मऊआइमा, शिवकुटी, बहरिया थानों में दर्ज 51 मुकदमों की सूची कोर्ट को सौंपी। कोर्ट ने तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए सीबीआइ जांच के आदेश दिए थे।

कुछ जांच एसआइटी को सौंपी थी।

दोनों संस्थाओं से रिपोर्ट मांगी थी।

निक्की देवी के आरोप पर दूसरे पक्ष के कई अधिवक्ता सामने आए, तर्क था कि वकीलों का एक गैंग सक्रिय है, जो झूठे केस कर चार्जशीट दाखिल होने के बाद वापसी के नाम पर धन उगाही कर बंटवारा करता है। पीड़िता के अनुसूचित जाति का होने के कारण सरकार से भी धन मिलता है।

अकेले मऊआइमा थाने में ऐसे 36 केस दर्ज हैं। इसे भी पढ़ें: STF के हाथ लगी बड़ी सफलता, मुख्तार व शहाबुद्दीन का शार्प शूटर मुठभेड़ में ढेर; दर्ज थे 20 हत्या के मुकदमे ।

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