`तलाक, ट्रिपल तलाक का केस है या नहीं यह ट्रायल कोर्ट में तय होगा...`, हाई कोर्ट ने की टिप्पणी

ऐसे में यह नहीं कह सकते कि प्रथमदृष्टया याची पर अपराध नहीं बनता, इसलिए याचिका खारिज की जाए।

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के भजनलाल केस सहित तमाम केसों का हवाला देते हुए कहा कि यदि प्रथमदृष्टया अपराध सामने आता है तो हाई कोर्ट चार्जशीट व प्राथमिकी रद नहीं कर सकती। उसे केस के तथ्यों की जांच करने का अधिकार नहीं है।

केवल असामान्य स्थिति में ही केस कार्रवाई रद की जा सकती है।

कोर्ट ने धारा 494 की कार्रवाई रद कर दी है परंतु कहा है कि धारा 3/4 डब्ल्यू एम एक्ट के तहत केस चलेगा। क्या है धारा 482 दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 482 उच्च न्यायालयों को अंतर्निहित शक्तियां प्रदान करती है।

उन्हें कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग रोकने और न्याय का उद्देश्य सुरक्षित करने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र के प्रयोग करने का अधिकार देती है। ।

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