महाकुंभ से पहले संतों के सबसे बड़े संगठन में बड़ा बदलाव, श्रीमहंत रवींद्र पुरी को मिला 8 अखाड़ों का समर्थन

अलग-अलग गुटों को समर्थन इसके अलावा निर्मल अखाड़ा कुछ संतों ने अलग गुट बनाकर समर्थन दिया था।

निर्मोही अनी अखाड़ा के श्रीमहंत दामोदर दास ने समर्थन पत्र भेजा था।

श्रीनिरंजनी अखाड़ा के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी को अध्यक्ष व जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरि को महामंत्री चुना गया। निर्मोही व निर्मल अखाड़ा के जिन संतों ने इस गुट को समर्थन दिया था, दूसरा गुट उसे नकार रहा था।

इधर, श्रीपंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण के मुखिया महंत दुर्गा दास ने लिखित रूप से रवींद्र पुरी व हरि गिरि गुट को समर्थन दिया है। मामले में अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने टिप्पणी करने से किया इनकार निर्वाणी अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत मुरली दास ने भी इसी गुट के साथ रहने का निर्णय लिया है।

इससे श्रीनिरंजनी गुट को आठ अखाड़ों का समर्थन मिल गया है।

वहीं, इस मामले में अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी (सचिव श्री महानिर्वाणी अखाड़ा) ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।

कहा कि जल्द बैठक बुलाकर सारी स्थिति स्पष्ट कर दी जाएगी। महंत हरि गिरि ने बनाई रणनीति अखाड़ा परिषद में बहुमत प्राप्त करने के लिए महंत हरि गिरि ने व्यापक स्तर पर रणनीति बनाई थी।

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