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तपती गर्मी में बना जीवनदायक प्याऊ, पार्थ गौतम की पहल से हर दिन 7000 से ज़्यादा प्यासे बुझा रहे प्यास
- न्यूज़
- Monday | 9th June, 2025

तबसे हमने और हमारी टीम ने एक रणनीति बनाकर शहर की उन जगहों को चिन्हित किया जहां अच्छी-ख़ासी तादात में लोग इकट्ठा होते हैं या गुज़रते हैं।
फिर बड़े-बड़े मिट्टी के मटकों के ज़रिए हमने वहां पीने के साफ़ और ठण्डे पानी की व्यवस्था की।
अब पूरी गर्मी के मौसम में हमारी फाउंडेशन की टीम यह सुनिश्चचित करती है कि किसी भी समय कोई भी राहगीर हमारे इन जल सेवा केंद्रों से प्यासा न लौटे।
हमारे लिए यह बहुत संतोष की बात है कि हमारे इन दस जल सेवा केंद्रों से रोज़ाना लगभग 7000 से ज़्यादा लोग अपनी प्यास बुझाते हैं। किसी ने सही कहा है कि मानव सेवा जो करे वह सदा ही सुख पाए, मन की शांति तब मिले जब किसी का जीवन बच जाए।
गर्मी में प्याऊ लगाकर लोगों की प्यास बुझाने से बड़ा कोई पुण्य का काम नहीं है।
यह एक प्रयास है, जो नि:स्वार्थ भाव रखते हुए समाज हित में ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को करना चाहिए।20 रुपए की पानी की एक बोतल ख़रीदना आज भी भारत की एक बहुत बड़ी आबादी के लिए आसान नहीं है।
और फिर एक बोतल पानी तपती दुपहरी में पैदल या फिर साइकिल से गांव और क़स्बों की सड़कें नापने वाले राहगीर का कितनी देर तक साथ निभाएगी।

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