दुष्कर्म के मामले में पुलिस की लचर व्यवस्था पर Fast Track Court का एक्शन, एडीजी व एसएसपी को लिखा पत्र

जानबूझकर मामले को लटकाना चाहती है पुलिस ऐसा प्रतीत होता है कि बरेली में क्षेत्राधिकारियों द्वारा अपने कर्त्तव्य एवं दायित्व के प्रति घोर लापरवाही बरती जा रही है।

या तो पुलिस को कानून की जानकारी नहीं है या फिर पुलिस जानबूझकर मामले को लटकाए रखना चाहती है।

कोर्ट ने बीते वर्ष थाना भमोरा क्षेत्र के दुष्कर्म के एक मामले में तल्ख टिप्पणी के साथ विवेचक की गिरफ्तारी के आदेश दिए हैं। चार्जशीट में खेल, 14 गवाहो में 11 का नंबर समान भमोरा थाने के दुष्कर्म के जुड़े मामले में विवेचक ने चार्जशीट में कुल 14 गवाहों का उल्लेख किया जिनमें से 11 गवाहों का मोबाइल नंबर एक ही है।

जो अपने में आश्चर्यजनक है।

दारोगा सतेंद्र कुमार ने अपना निजी मोबाइल नंबर भी चार्जशीट में नहीं लिखा। चार्जशीट में ना तो तत्कालीन थाना प्रभारी परमेश्वरी का नाम दर्ज है और ना पुलिस क्षेत्राधिकारी का नाम ही लिखा गया है।

सीयूजी नंबर से पुलिस कर्मचारियों को बतौर गवाह बुलाने में खासी परेशानी होती है।

चार्जशीट में पुलिस अधिकारियों व सरकारी गवाहों के व्यक्तिगत मोबाइल नंबर लिखने की व्यवस्था की गई है ताकि ट्रांसफर की हालत में गवाहों को कोर्ट में आसानी से तलब किया जा सके। अधिकतर मामलों में बरती जा रही लापरवाही अदालत ने कहा कि जिले भर की पुलिस कार्रवाई के दौरान अधिकतर मामलों में लापरवाही बरत रही है।

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