Haryana Election Results 2019: कौन हैं दुष्यंत चौटाला, जिनके हाथ में है सत्ता की चाबी

संक्षेप:

  • हरियाणा की राजनीति में चौटाला परिवार एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है.
  • इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) से अलग होने के सिर्फ 319 दिन बाद जन नायक जनता पार्टी किंग मेकर बन गई है.
  • नई पार्टी में दुष्यंत को सीएम प्रोजेक्ट किया गया था.

हिसार: हरियाणा की राजनीति में चौटाला परिवार एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) से अलग होने के सिर्फ 319 दिन बाद जन नायक जनता पार्टी किंग मेकर बन गई है. नई पार्टी में दुष्यंत को सीएम प्रोजेक्ट किया गया था. कांग्रेस ने उन्हें सीएम बनाने का ऑफर दे दिया है. आईए जानते हैं कि दुष्यंत चौटाला हैं कौन? जिस तरह से अखिलेश यादव यूपी में खुद को नई पीढ़ी के नेता के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहे थे. उसी रास्ते पर हरियाणा में दुष्यंत और उनके भाई दिग्विजय चौटाला भी चल रहे थे. इससे पार्टी का एक धड़ा असहज था. बहाना तलाशकर अजय सिंह चौटाला के बेटों, दुष्यंत और दिग्विजय को नंवबर में आईएनएलडी से निकाल दिया गया था.

पार्टी चाहते हैं दुष्यंत बने हरियाणा के सीएम

दरअसल, अजय चौटाला चाहते थे कि उनके बेटे और हिसार से सांसद दुष्यंत को सीएम उम्मीदवार के तौर पर प्रोजेक्ट किया जाए, जबकि अभय चौटाला इस पर बिल्कुल तैयार नहीं थे. इसलिए दुष्यंत को किनारे कर दिया गया. इस अपमान को दुष्यंत ने अपनी ताकत बना लिया और आज परिणाम सबके सामने है.

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ताऊ देवीलाल के विरासत का सबसे बड़ा दावेदार बताते हैं खुद को

दुष्यंत चौटाला 2014 के लोकसभा चुनाव में सबसे युवा सांसद थे. 2014 में वो जब सांसद बने तो उनकी उम्र मात्र 25 वर्ष 11 माह और 15 दिन थी. लेकिन 2019 का चुनाव वो मोदी लहर में हार गए. हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी. वे जनता के बीच घूमते रहे. हरियाणा के युवाओं में उनकी अच्छी पकड़ है. वो अच्छे वक्ता हैं. जब तक सांसद थे, संसद के हर सत्र में बोलते रहे. वह खुद को ताऊ देवीलाल की राजनीतिक विरासत का सबसे बड़ा दावेदार बताते हैं. देवीलाल जानेमाने किसान नेता और उप प्रधानमंत्री थे.

किसानों से दुष्यंत का गहरा लगाव-जुड़ाव

हिसार में जन्मे दुष्यंत हरियाणा की राजनीति में अपनी सहजता और शालीनता के लिए जाने जाते हैं. वह अपने परिवार की चौथी पीढ़ी के नेता हैं. फेसबुक पर उनके 7.68 लाख, जबकि ट्विटर पर एक लाख 8 हजार से अधिक फॉलोअर हैं. खेती-किसानी और युवाओं पर उनका फोकस रहा है. दुष्यंत चौटाला ने दिसंबर 2015 में लोकसभा में सवाल उठाया था कि किसानों की खुदकुशी पर असहिष्णुता के मुद्दे जैसी चर्चा क्यों नहीं होती? एक बार उन्होंने संसद परिसर में ट्रैक्टर लेकर घुसने की कोशिश की थी. वो विधानसभा चुनाव में भी वोट डालने ट्रैक्टर से ही पहुंचे थे. वे अपने परिवार की सियासी छवि से अलग इमेज गढ़ रहे हैं. इसीलिए कभी ऑटो की भी सवारी करते नजर आते हैं.

फुटबॉल में है रूचि

दुष्यंत ने हिसार के सेंट मैरी स्कूल से अपनी पढ़ाई शुरू की. दसवीं और बारहवीं की परीक्षा लॉरेंस स्कूल, सनावर हिमाचल प्रदेश से पास की. बॉस्केटबॉल, फुटबॉल और हॉकी में भी उनकी रुचि है. उन्होंने कैलीफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी में बैचलर ऑफ साईंस इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की डिग्री ली है. दुष्यंत को पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई के लिए 27 जनवरी 2013 को अमेरिका जाना था, लेकिन 16 जनवरी को जेबीटी प्रकरण में इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला तथा अजय चौटाला को हिरासत में ले लिया गया, जिसकी वजह से वे आगे की पढ़ाई के लिए विदेश नहीं जा सके और उन्हें सियासत में कूदना पड़ा.

दुष्यंत अपने परिवार के चौथी पीढ़ी के हैं नेता

चौटाला परिवार करीब डेढ़ दशक से सत्ता से बाहर है. शायद दुष्यंत इस सूखे को समाप्त करते नजर आ रहे हैं. उन्हें बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ऑफर दिया है. ऐसे में हरियाणा वाली सत्ता की चाबी उनके हाथ है. उनके दोनों हाथों में लड्डू है. देखना है कि वो अपनी चाबी से किस पार्टी का ताला खोलते हैं. दुष्यंत का जन्म हिसार शहर के प्रेमनगर स्थित निजी अस्पताल में 3 अप्रैल 1988 को हुआ था. दुष्यंत अपने परिवार की चौथी पीढ़ी के नेता हैं. उन्हें खेती-किसानी के अलावा पेंटिंग का बेहद शौक है.

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