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Swatantrata Ke Sarthi: बेसहारा का सहारा, किसी के लिए मां... किसी की दादी
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- Wednesday | 14th August, 2024
यही कारण रहा कि रमिंद्री कक्षा सात से ही समाज सेवा करने लगीं।
इस दौरान एमडीएस स्कूल की सिस्टर रोजीमैरी के संपर्क में आकर उन्हें समाज के प्रति समर्पणभाव से कार्य करने की प्रेरणा मिली।
वह छुट्टियों में मलिन बस्तियों में जाकर जरूरतमंद बच्चों को निश्शुल्क पढ़ाने लगीं।
वर्ष 1991 में पीजी कालेज उत्तरकाशी में पहली छात्रा उपाध्यक्ष बनीं।
पढ़ाई के दौरान 1994 में राज्य आंदोलन शुरू हुआ तो जिला संयोजक के तौर पर राज्य आंदोलन का नेतृत्व किया।
इस दौरान पूरा फोकस बेसहारा महिलाओं, बच्चों और बड़ों की मदद रखा।
इससे पहले लेक्चरर बनकर डायट की नौकरी की मगर, आगे बढ़ने की ललक थी, इसलिए 2005 में पीसीएस की परीक्षा पास कर ली।
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