निर्भया के दोषियों के डेथ वारंट पर फैसला टला, कोर्ट में रोने लगीं मां, कहा- हमारे अधिकारों का क्या?

संक्षेप:

  • निर्भया गैंगरेप केस में चारों दोषियों को 7 जनवरी तक की मोहलत मिल गई है.
  • दोषी जो भी कानूनी या दया याचिका जैसे विकल्प फॉलो करना चाहते हैं, कर सकते हैं.
  • इससे पहले मृत्युदंड की सजा पाए चार में से एक दोषी अक्षय की समीक्षा याचिका बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी.

नई दिल्ली: निर्भया गैंगरेप केस में चारों दोषियों को 7 जनवरी तक की मोहलत मिल गई है. पटियाला हाउस कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा कि मैं आप लोगों (दोषियों) को पूरा वक्त दे रहा हूं, इसीलिए 7 जनवरी तक समय दिया जा रहा है. दोषी जो भी कानूनी या दया याचिका जैसे विकल्प फॉलो करना चाहते हैं, कर सकते हैं. कोर्ट के फैसले के बाद निर्भया की मां रोने लगीं. उन्होंने कहा कि उनके पास सभी अधिकार हैं, हमारा क्या?
इससे पहले मृत्युदंड की सजा पाए चार में से एक दोषी अक्षय की समीक्षा याचिका बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी.

जस्टिस आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अक्षय की समीक्षा याचिका अन्य दोषियों की याचिकाओं के समान थी, जिन्हें शीर्ष अदालत 2018 में ही रद्द कर चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "सजा की समीक्षा में हमें कोई आधार नहीं दिखा." जस्टिस भानुमति ने कहा कि पीठ ने उस तर्क पर उचित विचार किया, जिसमें यायिकाकर्ताओं ने सबूत इकट्ठे करने की मांग की थी और इसकी अनुमति नहीं दी गई.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, "इन तर्कों पर पहले विचार किया जा चुका है. इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती. इन सभी पर ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में विचार हो चुका है." जस्टिस भानुमति ने कहा कि कोर्ट ने समीक्षा के लिए नियत नियमों के मापदंडों के अंतर्गत मामले की समीक्षा की और वह अब मामले पर दोबारा सुनवाई नहीं कर रही हैं. अन्य तीन दोषियों की याचिकाओं को खारिज करने का उल्लेख करते हुए कोर्ट ने कहा, "उसके (दोषी) द्वारा जांच में कमियों और तर्कों को पहले खारिज किया जा चुका है." अक्षय के वकील ने कोर्ट में कहा कि उनका मुवक्किल राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करना चाहता है. उन्होंने इसके लिए तीन सप्ताह का समय मांगा.

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केंद्र सरकार के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इसके लिए नियत समय सिर्फ एक सप्ताह है. शीर्ष अदालत ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका के लिए समयसीमा पर आदेश देने से इंकार कर दिया. कोर्ट ने कहा, "इस संबंध में हम अपने विचार नहीं बता रहे हैं और दोषी कानून के अनुसार दिए गए समय के भीतर दया याचिका दायर कर सकते हैं."

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