धान की पराली (Paddy-Straw) को खेतों में ही छोड़ दिया जाता है या फिर जला दिया जाता है

धमतरी. जबकि पैरा जानवरों के चारे के काम आता है या फिर किसान (Farmer) उसे भी जला देते हैं. लेकिन क्या आप कल्पना भी कर सकते हैं कि इस पैरा व पराली से सेनिटरी नेपकिन (Sanitary Napkin) भी बन सकती है. वो भी पूरी तरह से डिकंपोसेर. जी हां इस अनोखे प्रयोग पर धमतरी (Dhamtari) की एक समाजसेवी व न्यूट्रिशियन महिला 3 साल से काम कर रही हैं. अब इसे सरकार के तय मानकों पर खरा उतारने के लिए टेस्ट की प्रक्रिया की जा रही है. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के धमतरी (Dhamtari) की एक समाजसेवी व न्यूट्रिशियन सुमिता पंजवानी (Sumita Panjawani) ने धान के पराली व पैरा से सेनेटरी नैपकिन बनाया है. फिलहाल ये अनोखा प्रयोग विभिन्न मानको की जांच की प्रक्रिया में है. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर की मदद से किया गया ये प्रयोग अगर तमाम टेस्ट पास कर लेता है तो ये न सिर्फ महिलाओं को सस्ता हाइजीन देगा. बल्कि पराली व पैरा जलाने से हो रहे प्रदूषण को खत्म करने व किसानों की आय बढ़ाने वाला भी साबित हो सकता है. पराली से बना पैड मटेरियल दिखाती सुमीता. अंतिम चरण में है प्रयोगन्यूज 18 से चर्चा करते हुए सुमिता पंजवानी कहती हैं पराली व पैरा से सेनेटरी नैपकिन बनाने का प्रयोग अपने अंतिम चरण में है. यानी के सरकार द्वारा तय मानकों पर टेस्ट होने के लिये भेज दिया गया है. इस इनोवेटिव और एनवायरमेंट फ्रेंडली आइडिया उनके दिमाग में तब आया जब वो अक्सर ग्रामीण क्षेत्र में समाज सेवा का काम करने जाती थीं. इसके बाद उन्होंने इसपर काम शुरू किया. पराली से बने सैनेटरी पैड को पर्यावरण संरक्षण के लिए भी लाभकारी होने का दावा किया गया. पर्यावरण प्रदूषण पर रोक फूड एंड न्यूट्रिशियन में एमएससी और जबलपुर के जवाहरलाल कृषि विश्वविद्यालय में जूनियर साइंटिस्ट रह चुकी सुमिता बताती हैं कि पराली या पैरा जैसे वेस्ट में काफी सेल्यूलोज होता है, जिसे केमिकल की मदद से निकाला जाता है. ये एक तरह से कॉटन की तरह होता है, जो उपयोग के बाद डिकंपोज होकर मिट्टी में खाद की तरह मिल जाता है. बाजार में जो सेनिटरी नेपकिन उपलब्ध हैं, उनकी कीमतें सभी वर्ग की पहुंच में नहीं होती है, लेकिन पैरा से बना नेपकिन 2 से 3 रुपये में मिल सकेगा. तमाम ब्रांडेड नेपकीन में नायलोन होता है, जो डिकंपोज नहीं हो सकता और ये पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है. पैरा या पराली से बनी नेपकिन इन दोनों मामलो में बेहतर साबित होगी. window.ADNW = window.ADNW || {}; window.ADNW.v60 = window.ADNW.v60 || {}; window.ADNW.v60.slots = window.ADNW.v60.slots || []; window.ADNW.v60.slots.push({ rootElement: document.getElementNYOOOZ HINDIId("firstArticle"), placementid: '891619170980514_1503976046411487', format: 'recirculation', testmode: false, onAdLoaded: function(element) { // called on each single ad that is loaded }, onAdError: function(errorCode, errorMessage) { // called when no ads could be loaded }, onUnitLoaded: function(rootElement) { // called when whole unit is loaded console.log('Audience Network [891619170980514_1503976046411487] unit loaded'); rootElement.setAttribute("style", "border-top: 1px solid #908888;border-bottom: 1px solid #908888;padding: 10px 0;margin: 10px 0 20px;display:block"); }, onUnitError: function(errorCode, errorMessage) { // called when whole unit could not be loaded console.log('Audience Network [891619170980514_1503976046411487] error (' + errorCode + ') ' + errorMessage); }, recirculation: { desktop: { ad_load: 'auto', infinite_scroll: 'auto', layout: 'h_list', rows: 'one', columns: 'two' }, mobile: { ad_load: 'auto', infinite_scroll: 'auto', layout: 'grid', }, } }); समाजसेवी व न्यूट्रिशियन सुमिता पंजवानी बढ़ेगी किसानों की आय सुमीता कहती हैं कि ये प्रयोग अगर सफल होता है तो इससे महिलाओं को सस्ते में हाइजीन तो मिलेगा ही पर्यावरण संरक्षण भी होगा. इन सबके साथ अहम ये भी है कि किसानों के लिये समस्या बना पैरा या पराली से आय भी हो सकेगी. ये प्रयोग हर तरह से फायदेमंद है. इसका एक भी नकारात्मक पहलू नहीं है. इसे बाजार में लॉंच कैसे किया जाए. कैसे ये सस्ते दरो पर सभी को उपलब्ध हो जाए. इसकी भी तैयारी की जा चुकी है. बहरहाल तमिलनाडु के अरूणाचलम मुरूगनाथन ने इस दिशा में पहला क्रांतिकारी प्रयोग किया था, जिस पर पैडमेन नाम की अक्षय कुमार अभिनित फिल्म भी बन चुकी है. यदि सुमिता का प्रयोग भी सफल होता है तो शायद ये भविष्य में दुनिया के सामने पैड वूमन के तौर पर पहचानी जाएंगी. ये भी पढ़ें: धान खरीदी में सख्ती, सुकमा के व्यापारियों ने किया विरोध, बाजार में ही किसानों ने फेंका धान  बिलासपुर में डेंगू का कहर जारी, 31 मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव।

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