महंत दिग्विजयनाथ और अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि पर बोले सीएम योगी, भारत ने दिया है `जियो और जीने दो` का सच्चा लोकतंत्र

सम्मेलन के मुख्य अतिथि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह का अभिनंदन करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लोकतंत्र को लेकर वैदिक कालखंड से लेकर रामायणकालीन और महाभारतकालीन अनेक उद्धरण देखने को मिलते हैं।

भारत के लोकतंत्र में प्राचीन समय से लेकर आज तक जनता की आवाज और जनता के हित को ही सर्वोपरि रखा गया है। मंत्रणा--ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ व ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि के अवसर पर "लोकतंत्र की जननी है भारत" विषय पर आयोजित संगोष्ठी के दौरान मंच पर गहन मंत्रणा करते हुए राज्यसभा के उपसभापति हरिबंश नारायण सिंह व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।-अभिनव राजन चतुर्वेदी। भारतीय सभ्यता में हमेशा ही यह कह गया है कि प्रजा का सुख ही राजा का दायित्व है।

रामायण काल में भगवान श्रीराम ने भी अक्षरशः जनता की आवाज को महत्व दिया।

भगवान श्रीकृष्ण ने भी खुद को कभी राजा नहीं समझा।

उनके समय में वरिष्ठ व्यक्ति के नेतृत्व में गणपरिषद शासन का कार्य देखती थी।

द्वारिका में जब अंतर्द्वंद्व प्रारंभ हुआ तब इस परिषद के सदस्य आपस में लड़कर मर-मिट गए।

उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने परिषद के सदस्यों की दुर्गति पर कहा था कि राज्य के नियम प्रत्येक नागरिक पर समान रूप से लागू होते हैं। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ व ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि पर साप्ताहिक श्रद्धाजंलि समारोह के तहत "लोकतंत्र की जननी है भारत" विषय पर आयोजित संगोष्ठी में उपस्थित श्रोता।-अभ‍िनव राजन चतुर्वेदी। लोकतंत्र में जनता का हित ही सर्वोच्च मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में कुछ लोगों पर गुलामी की मानसिकता आज भी हावी है।

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