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UP News: `हवा` में जगह बेच गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने कमाए करोड़ों रुपये, जानिए कैसे?
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- Friday | 27th September, 2024

एफएआर खरीदने के लिए जीडीए में आवेदन करना होता है और फिर इसके लिए गठित समिति के सामने इसे प्रस्तुत किया जाता है।
समिति हर पहलू की जांच करने के बाद इसकी अनुमति देती है।
यही कारण है कि बहुत कम लोग ही एफएआर खरीद पाते हैं।
बीते साल में केवल एक बिल्डर ने एफएआर खरीदा है।
एक और मामला समिति के सामने लंबित है। समिति में होते हैं इन विभागों के प्रतिनिधि आवेदक को एफएआर बेचना है या नहीं, इसका फैसला जीडीए उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में गठित सात सदस्यीय समिति करती है।
इसमें अलग-अलग विभागों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
समिति में प्रशासन से अपर जिलाधिकारी प्रशासन, नियोजन से मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक, लखनऊ, जल निगम के अधीक्षण अभियंता, अग्निशमन अधिकारी, पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता एवं जीडीए के मुख्य अभियंता शामिल हैं। इसे भी पढ़ें-ट्रेनों की ढाल बनेगा रेलवे का कवच, 100 करोड़ का एस्टीमेट तैयार जीडीए उपाध्यक्ष आनन्द वर्द्धन ने कहा कि जीडीए की ओर से एफएआर बेचने की व्यवस्था है।

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