UP News: `हवा` में जगह बेच गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने कमाए करोड़ों रुपये, जानिए कैसे?

एफएआर खरीदने के लिए जीडीए में आवेदन करना होता है और फिर इसके लिए गठित समिति के सामने इसे प्रस्तुत किया जाता है।

समिति हर पहलू की जांच करने के बाद इसकी अनुमति देती है।

यही कारण है कि बहुत कम लोग ही एफएआर खरीद पाते हैं।

बीते साल में केवल एक बिल्डर ने एफएआर खरीदा है।

एक और मामला समिति के सामने लंबित है। समिति में होते हैं इन विभागों के प्रतिनिधि आवेदक को एफएआर बेचना है या नहीं, इसका फैसला जीडीए उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में गठित सात सदस्यीय समिति करती है।

इसमें अलग-अलग विभागों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।

समिति में प्रशासन से अपर जिलाधिकारी प्रशासन, नियोजन से मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक, लखनऊ, जल निगम के अधीक्षण अभियंता, अग्निशमन अधिकारी, पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता एवं जीडीए के मुख्य अभियंता शामिल हैं। इसे भी पढ़ें-ट्रेनों की ढाल बनेगा रेलवे का कवच, 100 करोड़ का एस्टीमेट तैयार जीडीए उपाध्यक्ष आनन्द वर्द्धन ने कहा कि जीडीए की ओर से एफएआर बेचने की व्यवस्था है।

If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

डिसक्लेमर :ऊपर व्यक्त विचार इंडिपेंडेंट NEWS कंट्रीब्यूटर के अपने हैं,
अगर आप का इस से कोई भी मतभेद हो तो निचे दिए गए कमेंट बॉक्स में लिखे।

अन्य गोरखपुर की अन्य ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें और अन्य राज्यों या अपने शहरों की सभी ख़बरें हिन्दी में पढ़ने के लिए NYOOOZ Hindi को सब्सक्राइब करें।